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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राष्ट्रिय १४६० राह चलता का चुना हुआ प्रधान राज्य-शासक ( आधु रासो, रासौ-संज्ञा, पु० दे० ( सं० रहस्य ) प्रजातं.)। किसी राजा का जीवन-चरित्र जिसमें उसकी राष्ट्रिय-संज्ञा, पु. (सं० ) गष्ट्रपति । । विजय और वीरतादि का वर्णन पद्य में हो। राष्ट्रीय-वि० ( सं०) राष्ट्र-संबंधी, राष्ट्र का, रास्त-वि० ( फ़ा०) सीधा, सरल, ठीक, अपने राष्ट्र या देश का। उचित । संज्ञा, स्त्री० – रास्तगोई-सिधाई। रास--संज्ञा, स्त्री० (सं० ) प्राचीन काल की रास्ता-संज्ञा, पु० [फा०) राह, पंथ, मार्ग, एक क्रीड़ा जिसमें मंडल बाँध कर नाचा मुहा०-रास्ता देखना-मार्ग (पथ ) जाता था, एक प्रकार का नाटक जिसमें देखना, प्रतीक्षा करना, बाट जोहना, पासरा श्रीकृष्ण जी कीरास-लीला होती है, रहस देखना। रास्ते पर ग्राना (लाना)--- (दे०)। संज्ञा, स्त्रो० (अ०) बाग-डोरी, लगाम । उचित रीति से कार्य करने लगना ( सुधासंज्ञा, लो० दे० (सं० राशि ढेर, समूह, रासि | रना)। रास्ता पकड़ना (लेना, नापना) (दे०), एक छंद (पिं०), पशुओं का झंड, -----चल देना, चले जाना। रास्ता बताना जोड़, दत्तक पुत्र, व्याज । वि० (फा० रास्त) -टालना, चलता करना, सिखाना, तरअनुकूल । " घोड़े की सवारी तो उन्हें कीब बताना। रास्ते पर लगानारास नहीं है''-मीर० । सुधार देना, उचित कार्य करने की ओर रासक-संज्ञा, पु. ( सं०) हास्य रस का । प्रवृत्त करना । चाल, प्रथा, रीति, उपाय । एकाङ्की नाटक (नाट्य० )। रास्ती-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) सचाई, सिंधाई, रासधारी-संज्ञा, पु. ( सं० रासधारिन ) वह _ "रास्ती मौजिबे रज़ाये खुदास्त"--सादी० । अभिनय-कर्ता जो श्रीकृष्ण जी के चरित्र रास्ना-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) रासना नामक या रास-लीला दिखलाता हो। रासना-संज्ञा, पु० दे० ( सं० रास्ना) रास्ना औषधि । “ रास्ना नागर लग मूल हुत् नाम की औषधि। भुक दारु अग्नि मंथै समैः”-लो. रा० । रासभ-संज्ञा, पु. ( सं० ) खच्चर, गर्दभ, राह- संज्ञा, पु० दे० (सं० राहु ) राहुग्रह । गधा, अश्वतर । “पुरोडाप चह रासभ संज्ञा, स्त्री. ( फा० ) रास्ता, मार्ग, पंथ, पावा"-रामा० । ( स्त्री० रासभी)। बाट । मुहा०---(अपनी) राह आना रासमंडल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) रास (अपनी) राह जाना-अपने मतलब लीला करने वालों की मंडली, रासधारियों से मतलब रखना । राह देखना या का अभिनय । ताकना-बाट जोहना, औसेर करना, रासलीला-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं०) कृष्ण- परखना, प्रतीक्षा करना, मार्ग (पथ ) लीला का नाटक या अभिनय । देखना । राह पड़ना--डाका पड़ना । रासायनिक-वि० (सं० ) रसायन शास्त्र राह लगाना--रास्ते लगाना, लूट पड़ना। संबंधी, रसायन शास्त्र का ज्ञानी, रसाय प्रणाली, चाल, प्रथा, नियम । संज्ञा, स्त्री० निक (दे०)। द० ( सं० रोहिष ) रोहू मछली। रासि, रासी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० राशि ) राह-खर्च-संज्ञा, पु० यौ० (फ़ा०) मार्गराशि। व्यय, सफर-खर्च। रासी-संज्ञा, पु० (दे०) मध्यम । राहगीर-संज्ञा, पु० (फा० ) यात्री, बटोही, रासु -वि० दे० (फ़ा० रास्त) ठीक, सीधा, । पथिक, राही (दे०) । सरल। | राह चलता-संज्ञा, पु० दे० (फा० राह+ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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