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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रहाइस राई रहस्यवाद-- गूढ दार्शनिक भाव-पूर्ण काव्य पकहना । स० कि० (दे०) रँगना, रंग (आधु०)। वि० रहस्यवादी । चढ़ाना, रचना, बनाना । ' मन जाहि राँच्यो, रहाइस-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० रहना ) . जो विलाकि मुनिवर मन राँचा"-रामा० । निवास, टिकाव, स्थिति, वाप। "करि अभिमान विषयरस राँच्यो".---सूर। रहाई-संज्ञा, स्त्री० (हि रहना ) कल, "कोटि इन्द्र छिन ही में राँचै, छिन में धाराम, चैन, रहने का भाव । कर विनाप"-'पूर० ।। रहान! --अ० कि० दे० (हि० रहना) रॉजना- अ० क्रि० द. (सं० रंजन) सुरमा, होना. रहना, रखना। अंजन या काजल लगाना । सं० कि० -- रहाव-संज्ञा, पु० दे० (हि० रहना) स्थिति. रंगना रंजित करना, राँगे से फूटे बरतन टिकाव, रहन । की मरम्मत करना। रहावन-संज्ञा, स्त्री. (हि० रहना+- राम--संज्ञा, पु० (दे०) टिटिहरी पक्षी। आवन--प्रत्य० ) वह स्थान जहाँ सारे गाँव। रोड-- वि० वी० दे० ( सं० रंडा ) बेवा, के पशु बन जाने से पहले इकटु होते हैं, विधवा, रडी, वेश्या । संज्ञा, स्त्री० रडापा रहूनो, रहुनियाँ (ग्रा० ।। रहित-वि० (सं०) बिना, हीन, बगैर । रोदना-गढ़ना -- स० कि० दे० (सं० " भक्ति-रहित संपति, प्रभुताई '--गमा०। रुदन ) राना। रहिला लहिला---संज्ञा, पु.. (दे०) चना, राध-संज्ञा, पु० दे० ( सं० परांत ) पड़ोस, अन्न । " रहिमन रहिला की भलो' । । पराय, समीप. पा । “राँव न तवाँ दूसर रहीम-वि० (अ०) दयावान, दयालु.. कोई "--पदा० : वि० - परिपक्क बुद्धि वाला कृपालु । संज्ञा, पु० ( अ० ) ईश्वर, अब्दुल ज्ञानी । " सँध जो मंत्री बोले सोई" रहीम खानखाना का उपनाम । "जो रहीम -पद्म० । उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग"। गधना-स० कि० दे० (सं० रंधन ) चावल रहुवा, रहुआ-- संज्ञा, पु० द० (हि. या दाल थादि पानी में पकाना, पाक रहना ) रोटियों पर नौकर रहने वाला । करना । टुकड़हा, रोटी-तोड़ । " कह गिरधर कविराय रॉपी-गायी-- संज्ञा, स्त्री० (दे०) पतली छोटी कहै साहिब सो रहुवा"--गिर। खुरपी जैमा मोचियों का एक यौज़ार । राँका-वि० दे० (सं० रंक ) कंगाल, राँभना .. अ० क्रि० दे० ( सं० रंभगा ) गाय निर्धन । " धनी, राँक सब कम्मधिीना" का बोलना या चिल्लाना, बँबाना। " जैसे -कु. वि. राँभति धेनु लवाई "--कु० वि०।। रॉकब-वि० दे० (सं० २) कंगाल, राया*-संज्ञा, १० (दे०) राजा (स०) । निन । " रॉकब कौन सुदामाहूतें पाप- राइ --- संज्ञा, पु० दे० (सं० राजा ) रइण्या समान करै, . सूर० । (ग्रा० ) राउ, राय, सरदार, छोटा राजा, राँग-रॉगा-संज्ञा, पु० (सं० रंग ) एक राजपद । “ राइ राज सब ही कह नीका" सफ़ेद कोमल धातु, बंग, रंगः ।। ---रामा० राँच - अव्य० दे० ( सं० रंच ) तनिक, गई--संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० राजिका ) छोटा किंचित, रंचक। सरसों जैमा एक तिलहन, अति अल्प मात्रा राँचना* ---अ० कि० द. ( सं० रंजन) या परिमाग । “राई को पर्वत कर, परवत प्रेम करना, चाहना, अनुरक्त होना, रंग राई माहि -कवी । मुहा०-गई-नान For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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