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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रसिक १४७८ रस्म रसिक-संज्ञा, पु. (सं०) रस-स्वाद का दर्शनों से भिन्न एक दर्शन, श्री कृष्ण, ज्ञाता, रस का स्वाद लेने वाला, सहृदय, रसेश। काव्य का मर्मज्ञ, भावुक, सिया, अच्छा रमेस-संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० रसेश ) मर्मज्ञ या ज्ञाता, एक छंह (पि०)। रसेश, श्रीकृष्ण जी। "पिक्त भागवतं रसमालयं मुहुरहो रसिकाः रसोइया-संज्ञा, पु. (हि० रसोई+ इया -- भुवि भानुकाः"-- भा० प्र० । प्रत्य० ) रसोई दार, रसोई बनाने वाला, रसिकता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) सरमता, बावर्ची (फा०)। रसिक होने का भाव या धर्म, हँसी-ठट्टा। रसोई-रसोई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० रस-+ " रसिकता लिकता-गत होचती"। सोई-प्रत्य०) भोजन पदार्थ जो पकाया गया रसिकविहारी-संज्ञा, पु. पौ० (सं०) श्री हो ( सं० रसवती)। मुहा०-रसोई कृष्ण जी. एक प्रसिद्ध हिन्दी-कवि । ' रसिक जीमना-- भोजन करना । रसोई तपना बिहारी" भृगु-नाथ भषिये तो नैकु । -भोजन पकाना। " कह गिरधर कविराय रसिकई रसिकाई----संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तपै वह भीम रसोई।" पाकशाला, भोज. रसिकता ) रसिक होने का भाव या धर्म, नालय, चौका, रमाइया (ग्रा०)। हँसी-ठट्ठा। रसोईघर-संज्ञा, पु. यौ० ( हि०) पाकरसित-संज्ञा, पु. (सं०) शब्द, ध्वनि । शाला, भोजनालय । रसिया-संज्ञा, पु. द. ( सं० रसिक ) रसोईदार- संज्ञा, पु० दे० (हि० रसोई - दार रसिक । लो०- "सब घर रसिया पहित फा०-प्रत्य०) रसोइया, रसोई बनाने वाला। अलोन' । फागुन में एक गाना ( ब्रज)। रसोन--संज्ञा, पु० (सं०) लहसुन । 'नान्या रसियाव--संज्ञा, पु० दे० । हि० रसौर ) निमान्यानि किमौपधानि परन्तु वालेन रसौर, ऊख के रस में पके चावल । रसीन कल्कात"-लो. रा०। रसी-संज्ञा, पु० दे० (सं० रसिक) रसिक, रमापल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मुक्ता, मोती। रसिया। वि० रस-युक्त। । रसोया --संज्ञा, सी० (हि० रसोई) रसोई । रसीद-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) प्राप्ति-पत्र, स्वी- रसौत-संज्ञा, स्त्री. (सं० रसोद भूत) रसवत, कृति-पत्र, मिलने या पाने का प्रमाण-पत्र, दारुहलदी की लकडो या जड़ को पानी में प्राप्ति, पहुँच, रिसीट (अं०) ! | पकाकर बनाई गई एक औषधि ।। रसील-वि० दे० ( हि० रसीला ) रसीला, रसौर-संज्ञा, पु० दे० ( हि० रस + और रसदार । -- प्रत्य०) ऊख के रस में पके हुये चावल । रसीला--वि० ( हि. रसला -प्रत्य०) रसौली-संज्ञा, स्त्री. (दे०) शरीर में गिलटी रसदार, रससे भरा, रसयुक्त, सरस, स्वादिष्ट, निकलने का एक रोग ( वै० )। आनंद-भोगी, रसिया, मनोरम, सुन्दर, रस्ता संज्ञा, पु० दे० (फा० रास्ता ) राह, बाँका । स्त्री. रसीली। मार्ग, रास्ता। मुहा० रास्ते पर आना रसूम-संज्ञा, पु. (अ०) रस्म का बहु वचन, (लाना)-ठीक कार्य करना ( कराना )। नियम, कानून, नेग, लाग ( प्रान्ती०) रस्ता बताना-'योखा देना, बहलाना, प्रचलित प्रथानुसार दिया धन । टालना। रीति, रसम (दे०)। रसूल-संज्ञा, पु० (अ०) पैगंबर, ईश्वर-दूत, रस्तोगी-- संज्ञा, पु० (दे०) वैश्यों की एक " रसूल पैग़म्बर जान बसीठ"--खा। | जाति । रसेश्वर-संज्ञा, पु. यौ० (60) पारा, षट् रस्म--संज्ञा, पु० (अ०) मेल-जोल, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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