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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मिथ्याचार १४०५ मिच अनृत । “ कालै करमै ईश्वरै मिथ्या ( फ़ा. मोमिायाई ) बनावटी या नकली दोष लगाय"-रामा०।। शिलाजीत । मिथ्याचार - वि० यौ० (२० मिथ्या-- मिमियाना-अ० क्रि० ( मनु० मिन मिन ) माचार ) असत्य या झूठा व्यवहार, दांभिका- बकरी या भेड़ी की बोली। चार। मिमियाहट-संज्ञा, सी० (दे०) बकरी या मिथ्याचारी-वि० यौ० (सं.) दांभिक, भेडी का शब्द । असत्य या झूठा व्यवहार करने वाला। मियाँ-संज्ञा, पु. (फ़ा०) मालिक, स्वामी, मिथ्यात्व-संज्ञा, पु० (सं०) माया, प्रपंच, पति, महाशय, मुसलमान, बूदा।। मिथ्या होने का भाव, असत्यता मियाँमिट्ट - संज्ञा, पु. यौ० (हि०) प्रियवादी, मिथ्याधि--संज्ञा, स्त्री. यौ० (२०) कर्म मीठी बोली बोलने वाला, मधुरभाषी, फलापवादकज्ञान, नास्तिकता, असत्यदर्शन । तोता, मूर्ख । मुहा०-अपने मुँह मियाँ मिथ्याध्यवसिति--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) मिट बनना-अपने ही मुंह से अपनी एक अर्थालंकार जिसमें मिथ्या या असंभव प्रशंसा करना। बात का निश्चय करके दूसरी बात का मियान-संज्ञा, स्त्री० (फा०) तलवार का कथन किया जाता है (अ० पी०)। म्यान । '' कढत मियान गर्त सों सुदामिनी मिथ्याभाषी-संज्ञा, पु० सं० मिथ्याभापिन्) लौ कौंधि'-अ.व.। भूठ या असत्य बोलने वाला। "मिथ्याभाषी मियाना--वि० (फा०) मझोले श्राकार का। सांचहू, कहै न मानै कोय"-नीति। संज्ञा पु. (दे०) एक तरह की पालकी, मिथ्याभियोग-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) असत्य म्याना (दे०)। या झूठा दोषारोपण, मिथ्याशद, झूठी मिरग, मिरिग-संज्ञा, पु. दे. ( सं० मृग) मिरगा (दे०) हरिन । " ताकी मिथ्यायोग-संज्ञा, पु० यौ० (२०) ऋतु या सुघराई कहूँ पाई है न मिरगो।" प्रकृति आदि के प्रतिकूल कार्य । वि. मिरगी-संज्ञा, स्त्री. दे. (सं० मृगी) मिथ्यायोगी। मूर्छा सम्बन्धी एक मानसिक रोग, अपस्मार मिथ्यावादी-संज्ञा, पु० यौ० (सं० मिथ्या । या मृगी रोग, हरिनी। वादिन् ) भूठ बोलने वाला, असत्यवक्ता, मिरच, मिरचा-संज्ञा, पु० दे० (सं० मरिच) झूठा । स्त्री० मिथ्यावादिनी। लाल मिर्च । मिथ्याहार-संज्ञा, पु. यौ० (F० मिथ्या+ माहार ) अपथ्याहार, अनुचित या प्रकृति मिरचवान- संज्ञा, पु. (दे०) बरात को के विरुद्ध भोजन करना । “मिथ्याहार जनवास देकर मिर्च (ठंडाई) और शरबत विहाराभ्यां दोषाह्यामाशयाश्रया:"-मा. देने की रीति, (व्याह)। नि० । वि. मिथ्याहारी। मिरजई, मिरजाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० मिनती-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० विनति) मिरजा ) कमर तक का तनीदार अंगा। विनती, प्रार्थना, निवेदन । | मिरजा--संज्ञा, पु. (फ़ा०) मीर या अमीर मिनहा-वि० (अ०) मुजरा किया हुआ, का लड़का, अमीर-जादा, कुँवर, राजकुमार, जो काट या घटा लिया गया हो। मुगलों की एक उपाधि । मिन्नत-संज्ञा, स्रो० (अ०) निवेदन, प्रार्थना, मिर्च- सज्ञा, स्त्री. द. (सं० मरिच ) कटु विनती। फलों या फलियों का एक वर्ग जिसके मिमियाई, मोमियाई।--संज्ञा, स्त्री० दे० मुख्य दो प्रकार हैं--(१) मिरचा (दे०) लड़ाई। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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