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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महमेज महाकल्प महमेज-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) जूते में लगी महरेट: --संज्ञा, स्त्री० ६० (हि. महरेटा - लोहे की वह कीलदार नाल जिससे सवार ई-प्रत्य० ) श्रीराधिकाजी।। घोड़े को एड़ लगाकर बढ़ाते हैं। महाक-संज्ञा, पु८ यौ० (सं०) १४ लोको महम्मद संज्ञा, पुं० दे० (अ०) मुहम्मद। में से ऊपर का चौथा लोक (पुरा०) । महर --संज्ञा, पु० दे० सं० महान) जमींदारों महषि - संज्ञा, पु. यो० (स.) श्रेष्ठ और थादि के लिये एक आदर-प्रदर्शक शब्द बड़ा पि, ऋषीश्वर (बज.) एक पती, सरदार, नायक, कहार। महल महत... संज्ञा, पु. (अ०) प्रामाद, बहुत बड़ा स्त्री. महरि, महरा : नाद महर घर __ और सुन्दर कमरा, मकान या गृह, राजबजत बधाई री' --सूर० । वि० (हि० महक) भवन, अंतःपुर, रनिवास, अवापर, मौ । सुगंधित । मुहानाहर नहर होना ।। __ महलन', मुहला-संज्ञा, १० (प्र.) मुहाल, महरम - सज्ञा, पु. (अ.) सलमानां में शहर का एक विभाग या बंड जिनमें कन्या का ऐसा निकट का सम्बन्धी जिसके । वहुत मे घर हों, टोला, पुरा । साथ उसका ध्याह न हो सके. जैसे, बाप.. __ महमिल - संज्ञा, पु. ( ग्र० मुहारिमल नाना, चाचा, मामा श्रादि. भेद जानने __ महसूल लेने या उगाहने वाला। वाला , संज्ञा सो महसून --संज्ञा, पु. (ग्र०) कर, लगान. कटोरी । संज्ञा, पु० (दे०) मलहम । भाड़ा, किराया मालगुजारी कार्य-विशेष महरा--संज्ञा, पु० दे० ( सं० महत् ) नायक, के लिए किसी राजा या अधिकारी के द्वारा लिया गया धन । सरदार, कहार । स्त्रो० महरा महराई -- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० महर 1 महाँ* ---अध्य० दे० । दि० महँ ) में, महूँ । आई.-- प्रत्य० ) श्रेष्ठता. बड़ाई, प्रधानता। महा--- वि० (सं.) ड़ा, थत्यंत. भारी. महराज---संज्ञा, १० द० ( ० महाराज ) अति अधिक श्रेष्ठ, बहुत, बहुत बड़ा भारी, महाराज । '' तुम महराज, हमहूँ तो सर्वोत्तम, सबसे अधिक । संज्ञा, पु० द. कविराज हैं ''- स्फु०। ( हि० महना ) छाँछ, मट्ठा, महः । महराना ---संज्ञा, पु. द. हे महर - महारंभ. महाअरंभ-वि० यौ० ० सं० आना - प्रत्य० ) महरों के रहने का स्थान ।। यहा । प्रारंभ ) बहुत शोर, बड़ा भरभर. वि०, संज्ञा, पु. यो० (हि.महाराणा बड़ी धूमधाम ।। महाराज (राज.)। • महाइ। --संज्ञा, स्त्री. द. हि० महना । महराना- संज्ञा, स्त्री० (दे०) महारानी। आइ--प्रत्य० ) मथने का कार्य या महाव--संज्ञा, स्त्री. द. (प्र. महराव ) मज़दूरी। मेहराब। महाउत* - संज्ञा, 'पु. ६० (हि. महावन ) महरि संज्ञा, खी० दे० (हि. महर । व्रज सहावत, हथवाल । में प्रतिष्ठित घर की स्त्रियों के लिये सम्मान- महाउन्नत, महानत ... संज्ञा, पु० यो० ॥२०॥ सूचक शब्द, मालकिन, घा-वाली. एक कदम का वृक्ष । पक्षी दहिगल (प्रान्ती.)। महाउर-- संज्ञा, पु. द० (हि. महावर ) महरी संज्ञा, खी० (दे०) कहा रन । महावा, यावक । महरूम-वि० (अ.) वंचित, जिसे न मिले। महाकंद-सझा, पु. यो. (सं.) लहसुन । महरेटा-संज्ञा, पु० दे० (हि० महर- महाकल्प-संज्ञा, पु० यो० (सं०) ब्रह्मा की एटा --प्रत्य०) श्रीकृष्णजी। पूणायु का समय, ब्रह्मकल्प। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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