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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मरनी १३७३ मरियम किसी से हारना, दबना, पछताना, वेग का महाराष्ट्र देश का निवासी, महाराष्ट्र । स्त्री० शान्त होना। मरहठिन । मरनी--संज्ञा, स्त्री० (हि. मरना ) मृत्यु, मरहठी-वि० दे० ( हि० मरहठा ) मरहठामौत, हैरानी, कष्ट, किसी के मरने पर उसके | संबंधी, मरहठों का । संज्ञा, स्त्री० (दे०) सम्बन्धियों का सदुःख कृत्य । मरहठों की बोली या भाषा, मराठी मर-पचना-अ० कि० (दे०) अति परिश्रम (प्रान्ती०)। करना, बहुत ही दुख सहना । मरहम---संडवा, पु० (अ०) पीड़ित स्थानों या मर-भुकम्वा-वि० दे० यौ० (हि० मरना । घावों पर लगाने की औषधियों का लेप । भूखा ) दरिद्र, कंगाल, भुक्खड़ । " मरहम तो गये मरहम के लिये मरहम मरभुखा, मग्भूवा-वि० (दे०) बिना | न मिला माहम न मिला। खाया, खाऊ, पेटू, दरिद्र । मरम-संज्ञा, पु० दे० (सं० मर्म ) मर्म, मरहला-राज्ञा, पु० (अ०) पड़ाव, ठिकान, भेद । “ मरम हमार लेन सठ श्रावा"-- मंजिल, रातिब । मुहा०-मरहला रामा० ! वि० मरमी तय करना - झगड़ा निपटाना, कठिन कार्य को पूर्ण करना। मरमर--संज्ञा, पु० (सं०) संगमरमर, एक प्रकार का सफ़ेद पत्थर । संज्ञा, पु. (दे०) मरहम-वि० (अ०) मृत, स्वर्गवासी। पानी के बहने का मरमर शब्द। | मरातिब- पंज्ञा, पु. (अ.) उत्तरोत्तर पाने वाली अवस्थायें, दरजा, पद, घर के खंड, मरमराना--.अ. क्रि० दे० (अनु०) मर मर ध्वजा, पताका, झंडा। शब्द करना, दबाव से लकड़ी श्रादि का मरमर शब्द करना। मराना--स: क्रि० (हि० मारना का प्र० रूप) मरम्मत-- संज्ञा, श्री. (अ०) जीर्णोद्वार, मारने की प्रेरणा करना, मरवाना । दुरुस्ती, किसी वस्तु के टूटे-फूटे भागों की मरायल*--वि० दे० ( हि० मारना+ दुरुस्ती, बिगड़ी वस्तु का सुधार। आयल-प्रत्य०) मार खाने वाला, पीटा मरवाना-स० क्रि० ( हि० मारना प्रे० रूप) हुश्रा, सत्वहीन, निर्बल, निःसत्व । संज्ञा, किसी को किसी दूसरे के पीटने को प्रेरित पु० (दे०) शटा, क्षति, हानि ।। करना। मराल-संज्ञा, पु० (सं०) हंस, बतख, घोड़ा, मरसा--संज्ञा, पु० दे० (सं० मारिष ) एक हाथी । सो० मराली । “बरु मराल प्रकार का साग। मानस तजै, चंद सीत रबि घाम"-तु. मरसिया - संज्ञा, पु. (अ.) किसी की “जियइ कि लवन पयोधि मराली"मृत्यु के सम्बन्ध में शोक-काव्य, करुण- रामा० । क्रंदन । | मरिंद, मनिंद*- संज्ञा, पु० दे० (सं० मरहट --संज्ञा, पु० दे० (हि० मरघट ) मलिंद ) भौरा, मरंद (दे०) । संज्ञा, पु. मरघट, श्मशान, मसान। -संज्ञा, स्त्रो० (सं० मकरंद ) मकरंद । (दे०) मोठ। मरिच, मरीची-संज्ञा, पु० (सं०) मिरिच, मरहटा-संज्ञा, पु० दे० (सं० महाराष्ट्र) मिर्च । “ रस-द्विजीर द्विनिशा मरीची"मरहठा, १६ मात्राओं का एक छन्द (पिं०) लो। मरहट्टा (दे०)। मरियम-संज्ञा, स्त्री० (अ०) ईसा की माता, मरहठा- एंज्ञा, पु० दे० (सं० महाराष्ट्र) कुमारी। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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