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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मत्सरी मदद मत्सरी-संज्ञा, पु. ( सं० मत्सरिन् ) डाही, मथित - वि० (सं० ) मंथित, मथा या मरूर-पूर्ण । विलोड़ा हुथा। मत्स्य---संज्ञा, पु० (सं०) मीन, मछली, मथुरा--संज्ञा, खो० द. (सं० मधुपुर ) ७ राजा विराट का देश, छप्पय का २३वाँ भेद, । प्रसिद्ध प्राचीन पुरियों में से एक पुरी जो विष्णु के दशावतारों में से प्रथम ।। व्रज में यमुना-तट पर है। मत्स्यगंधा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (०) सत्यवती, मथराधिए-मथाधिपति-- संज्ञा, पु. यौ० व्यास-माता। । सं० ) मथुरा-नरेशा, कंस, कृष्ण । मत्स्यपुराण--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) १८ मरिया---वि० (हि० मथुरा । इया---प्रत्य०) पुराणों में से एक । मथुरा का, मथुरा-निवासी, मथुरा-संबंधी । मत्स्यवित्ता--- संज्ञा. स्त्री. (सं० ) कुटनी, मथुरा-संज्ञा, पु. गौ० ( सं . ) श्रीकृष्ण, औषधि विशेष । कंस। मत्स्याह--संज्ञा, पु० यौ० (६०) मछली मोरा-संज्ञा, पु० दे० ( हि० मथना ) बढ़ई का अंडा। का एक भद्दा रंदा। मत्स्यावतार-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) विष्णु मयां--- संज्ञा, पु. ६० ( हि० माथ, सं० के १० अवतारों में से प्रथम अवतार ।। मस्तक) मस्तक, माथा, मत्था । मत्स्येंद्रनाथ- संज्ञा, पु० यो० ( सं० । हठयोगी गोरखनाथ के गुरु, मछंदरनाथ मदंध*---वि० दे० यौ० (सं० मदांध ) मदोन्मत्त, मदमत्त । संज्ञा, स्त्री-पदंचना। (दे०)। मथन-संज्ञा, पु० (सं०) विलोग, विलोड़ना, मद --- संज्ञा, पु. (सं० ) नशा, मतवालापन, मंथन, एक प्रस्न । वि०विनाशक, मारनेवाला मद्य, उन्मत्तता, कस्तुरी, वीर्य, मतवाले, वि० मथनीय, मथित। हाथी के गंडस्थल से निकला हुमा गंध युक्त मथना-स० क्रि० (सं० मथन ) विलोना, रस या द्रवपदार्थ, गर्व, घमंड, श्रानंद, हर्ष, हाथी का दान । वि० मस्त, मतवाला । यो. बिलोड़ना, द्रव पदार्थ को काष्ठादि से चलाना या हिलाना, नष्ट या ध्वंस करना, चला कर वि० मदमाता, मदमस्त, मदमत । संज्ञा, मिलाना, घूम फिर कर पता लगाना, बड़ी स्त्री० (अ.) विभाग, खाता, सीगा, छानबीन करना, कोई काम अधिक बार सरिश्ता, मद। करना । "रिपु-मद मथि-प्रभु-पुषश सुनाये'' मद्रक ... एंज्ञा, स्त्री० पु० (सं० मद ) अफीम -रामा० । संज्ञा, पु० मथानी, रई। के सत से बनी एक मादक या नशे की वस्तु, मथनियाँ- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० मथना) जिसे चिलम से पीते हैं। वि० ---मदकी। दही मथने का बरतन, मटकी, मथानी। मदकची--वि० (हि. पदक - ची प्रत्य०) मथनी--- संज्ञा, स्त्री० ( हि० नथना ) दही मदक पीनेवाला, मकवान। मथने की मटकी, या काठ की मथानी। मदकट - संज्ञा, पु० (दे०) खाँड़, चीनी, मथवाह* --संज्ञा, पु० दे० (हि० माथा --- शक्कर। वाह --- प्रत्य० ) महावत । मदकल-मदगल - वि० दे० ( सं० ) मस्त, मथानी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० मथना) रई, मतवाला; मत्त । संता, स्त्री. मदकली। दही मथने का काठ का एक दंडा, मंथन-दंड, मदद --- संज्ञा, खो० (प्र०) पहायता, सहारा, मथनी (दे०)। मुहा०-सथानी पड़ना किसी काम पर लगे मजदूर और राज श्रादि। या बहना-... खलबली मचना । “नवीजीभेजो मदद खुदा की, "--- कहा। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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