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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत भाव्यतिक्रम से भार उतारना-सहाय करना, सहारा, ! भारद्वाज-संज्ञा, पु. ( सं० ) भरद्वाज के आधार, प्राश्रय. २००० पल या २० तुला ___ वंशज, द्रोणाचार्य, भरदल पती, श्रौत और की तौल । मुहा०-अपना (अपने सिर - गृह्य-सूत्र के रचयिता एक ऋषि, भरद्वाज का) भार दूसरे के सिर या माथे गोत्र के लोग। (डालना)-अपना कार्य, ऋण या उत्तरदायित्व भारना*-स. कि. द. (सं० भार ) दूपरे पर छोडना । * · संज्ञा, पु० (दे०) बोझ लादना, दबाना, भार डालना। भाइ । " रहिमन उतरे पार, भार झोंकि भारवाहक-वि० (सं० ) बोझ ढोने वाला। सब भार मैं "-रही। भारवाही-वि० (दे०) बोझ ढोने वाला। भारत-संज्ञा, पु. ( सं० ) महाभारत का भारवि भारवी-(दे०) संज्ञा, पु. ( सं० ) मूल प्राय जिसमें चौबीस हजार श्लोक हैं। किरातार्जुनीय काव्य के रचयिता एक संस्कृत भारतवर्ष हिन्दुस्तान, पार्यावर्त, भरतवशो, के कवि । " तावद भा भारवे ति यावन्मा. घोर युद्ध, लंबी कथा । “तं तितीक्षस्व घस्य नोदयः "। भारत-भ. गी०। संज्ञा, पु. ( सं०) भारा-वि० दे० (सं० भार) बोझा, भार । युधिष्ठिर, अर्जुनादि । संज्ञा, पु० भाड़ा, किराया। भारतखंड-भरतखंड-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) भाराक्रांत-वि० यौ० (सं०) बोझ से भारतवर्ष । पीड़ित। भारतवर्ष-संज्ञा, पु० (सं० ) उत्तर में भाराक्रांता-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० ) एक हिमाजय पर्वत से दक्षिण में कन्याकुमारी वर्णिक छंद (पिं०)। तथा पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी से पश्चिम में भागवलंबकत्व-संज्ञा, पु. यौ० ( सं०) सिंध नदी तक का देश, आर्यावर्त ,हिन्दु- पदार्थों के परमाणुओं का पारस्परिक आकर्षण। स्तान, भरतखड। भारी-वि० ( सं० भार ) गुरु, जिसमें बोझा भारतवर्षीय-भारतवासी--संज्ञा, पु० (सं०) हो, बोझिल, कठिन, बड़ा, कराल, विशाल, भारतवर्ष का निवासी, भारतीय, भारतवर्ष । "नाथ एक श्रावा कपि भारी"-रामा० । में होने वाला, भारतवर्षी (दे०)। मुहा०-भारी भरकम देखने में बड़ा भारती-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) वचन. गिरा, और भारी गंभीर, अत्यंत, बहुत सूजा या पाणी, सरस्वती, वीभत्स और रौद्र रस के फूला हुश्रा, शान्त, प्रवल, असह्य । वर्णन की एक वृत्ति, (काव्य०) ब्राह्मी, संन्या- भारीपन --- संज्ञा, पु० (हि०) गुरुत्व, बोझिल । सियों के १० भेदों में से एक भेद । वि०- भार्गव-संज्ञा, पु. ( सं० ) भृगुवंशीय व्यक्ति, भारत की, भारत का, भारतवासी, भारतीय। शुक्राचार्य, परशुराम, मार्कडेय, एक उप"सुनि भारती ठादि पछिताती"-रामा०। पुराण, जमदग्नि, वैश्य जाति का एक भेद । भारताय-वि. ( सं० ) भारत संबंध।। वि० भृगुसंबंधी, भृगु का। एंज्ञा, पु. भारत-वासी, भारत का रहने भार्गवेश-संज्ञा, पु० यौ० (सं० भार्गव वाला या निवासी, हिन्दुस्तानी, भारती ईश) परशुराम । “ भार्गवेश देखिये" -रामा०। भारथा-संज्ञा, पु० दे० (सं० भारत ) भाा -संज्ञा, स्त्री. (सं० ) परनी, स्त्री। भारत ग्रन्थ, घोर युद्ध, संग्राम, भरतवंशीय।। तस्मै सम्याः सभार्यायाः "- रघु० । भारथी-संज्ञा, पु० दे० (सं० भारत ) | भा-तिक्रम-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) सैनिक, सिपाही। । स्त्री स्याग, स्त्रीनाश, परस्त्री-गमन । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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