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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बीचु 16 ज़िम्मेदार बनना | बीच पड़ना- अंतर थाना । 'परै न प्रकृतिहि बीच "-. तु० | बीच पारना या डालना -- पार्थक्य या अलगाव करना, भेद डालना, परिवर्तन करना | बीच रखना - भेद या दुराव रखना, गैर समझना । बीच में कूदना - - वृथा हस्तक्षेप करना, व्यर्थ टॉग ना । ( ईश्वर आदि को ) बीच में रख के कहना -- ( ईश्वरादि की ) शपथ या क़सम खाना । अवकाश, अवसर, बीच का, अन्तर, मौक़ा । "बीच पाय तिन काज सँवारय ।" क्रि० वि० (दे०) अंदर, भीतर, में | संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० बोचि ) लहर, तरंग | " बारि, बीचि जिमि गावैं बेदा" १२८४ बीना फेहरिश्त माल के दर मूल्यादि ब्योरे की सूची गड़े धन की सूची, कबीर की रचना के तीन संग्रहों में से एक । बीजगणित - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह गणित विद्या जिसमें श्रज्ञात राशियों के वर्णों को संख्या सूचक मान कर उनके द्वारा नियत नियमों से निकालते हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बीजत्व -- संज्ञा, पु० (सं०) बीज का भाव । बीजदर्शक - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नाटक के afras की व्यवस्था करने वाला । बीजन, बीजना* -- संज्ञा, पु० दे० ( सं० व्यजन) पंखा, बेना, बिनवाँ, बिजना (ग्रा० ) । बीजपूर, बीजपूरक-संज्ञा, पु० (सं०) चकोतरा, बिजौरा नींबू । रामा० । बी - संज्ञा, पु० दे० ( हि० बीच ) भेद, अंतर, दूरी, श्रवपर, मौक़ा । बीजबंद - संज्ञा, पु० यौ० ( हि० बीज + Safar) बरियारी के बीज, खिरैटी के बीज, वा (प्रान्ती० ) । बीचोंबीच - क्रि० वि० यौ० ( हि० वीच ) बीजमंत्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) किसी देवता ठीक मध्य में, बिलकुल बीच में । बीना के प्रसन्न करने की शक्ति वाला मूलमंत्र, गुर, तत्व, सारांश | " स० क्रि० दे० (सं० बिचयन ) चुनना, छाँटना, बिनना, बाँटना (ग्रा० ) । बीडी* +- संज्ञा स्त्री० दे० (सं० वृश्चिक ) बिच्छू, बिच्छी ( मा० ) । " ग्रह-गृहीत पुनि बात-बस, तापै बीछी मार : - रामा० । " छुवत चढ़ी जनु सब तन बीछी " - रामा० | बी* t - संज्ञा, पु० दे० (सं० वृश्चिक) बिच्छू, बिच्छी, बीaat | बीजरी, बीजु, बीजुरी - संज्ञा, त्रो० दे० (सं० विद्युत् ) बिजली, दामिनी । बीजा - वि० दे० ( सं० द्वितीय ) दूसरा । संज्ञा, पु० दे० (सं० बीज ) बिया, दाना, बीया, बीज । + बीजाक्षर -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बीज मंत्र का प्रथम वर्ण । बीजी-- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० बीज + ई - प्रत्य० ) मींगी, गिरी, गुठली । बीज - संज्ञा, पु० (सं०) फूल वाले पेड़ों का गर्भड जिससे पेड़ निकलता है, दाना, बिया (ग्रा० ), तुम ( फ़ा० ) मूल, जड़, प्रकृति, प्रमुख कारण, हेतु, कारण, वीर्य, शुक्र, अव्यक्त संकेत वर्ण या शब्द, अव्यक्त संख्या- सूचक चिन्ह | जैसे- बीजगणित | किसी देवता के प्रसन्न करने की शक्ति वाली अव्यक्त ध्वनि या शब्द ( तंत्र० ) । यौ० - बीजमंत्र | संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० विद्युत् ) बिजली, दामिनी । बीजक - संज्ञा, पु० (सं०) सूची, तालिका, बीजू - वि० दे० (सं० बीज + ऊ हि० - प्रत्य० ) जो बीज से उत्पन्न हो, पेड़ आदि । विलो ० कलमी ) | संज्ञा, पु० (दे०) विज्जु (हि०) बिजली | T बी, बीमा - वि० दे० (सं० विजन ) निर्जन, एकांत, शून्य । ' दंडकारन बीझ बन जहाँ " बीना - अ० क्रि० दे० (सं० विद्व ) फँसना, लिप्त होना । पद्मा० । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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