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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बारे बारे - क्रि० वि० (फ़ा० ) निदान, अंत या श्राख़िर को | संज्ञा, पु० बालक, लड़के, बच्चे | "भैया कहहु कुसल दोउ बारे "-- १२६२ ,, बालक -- रामा० । रामा० । बारे में - श्रव्य० दे० ( फा० वारा + में हि०) बालखोरा - संज्ञा, पु० (दे०) सिर के बाल विषय या सम्बन्ध में, प्रसंग में । झड़ने का रोग, गंजरोग | बारोठा - संज्ञा, पु० दे० (सं० द्वार ) बरोठा, बालगोविंद - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बालव्याह में वर के द्वार पर थाने के समय की एक रस्म । 16 बाल -- संज्ञा, पु० (सं०) बालक लड़का, बच्चा, मूर्ख, नासमझ । स्रो० बाला । यौ०बाल-बच्चे, बाल-गोपाल | संज्ञा, त्रो० बाला, नवयौवना स्त्री । वि० जो छोटा हो, पूरा न बढ़ा हो, थोड़ी देर का हुआ या प्रगटा । संज्ञा, पु० (सं०) लोम, केश । बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा " - रामा। मुहा०बाल बाँका ( देहा) न होना- कुछ भी हानिया कष्ट न होना । बाल न बाँकनाबाल बाँका न होना। नहाते बाल न खिसना - हानि या कष्ट कुछ भी न होना । ( किसी काम में) बाल एकाना - बहुत दिनों का अनुभव प्राप्त ( काम करते करते ) बूढ़ा हो जाना। बाल बाल बचना - विपत्ति या हानि पहुँचने में थोड़ी ही कसर रहना, साफ या बिलकुल बच जाना | संज्ञा, स्त्री० (दे०) बाली, कुछ अनाजों के डंठलों के धागे का खंड जिसमें दाने रहते हैं । करना | बालक - संज्ञा, पु० (सं०) शिशु, बच्चा, पुत्र, लड़का, अज्ञान, नादान, केश, बाल, हाथीघोड़े का बच्चा । " कौशिक सुनहु मंद यह बालकता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) लड़कपन | बालकताई -संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० बालकता + ई० - ० प्रत्य, वाल्यावस्था, नादानी । बालकपन - संज्ञा, पु० ( सं० बालक + पनप्रत्य० ) लड़कपन, नादानी | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बालम बालकृष्ण - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बालक कृष्ण, लड़कपन के कृष्ण, बाल-गोपाल | बालखिल्य - संज्ञा, पु० (सं०) अँगूठे के बराबर के ऋषियों का समूह ( पुरा० ) । कृष्ण । बालग्रह - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बालकों के मारक नौ ग्रह (वै०, ज्यो० ) । बालवड, बालवर - संज्ञा, स्त्री० (दे०) जटामासी औषधि | बालटी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( ० बकेट ) एक हलका डोल । बालतंत्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कौमारभृत्य, दायागिरी, संतान -पालन विधि | बालतोड़, बलतोड़ - संज्ञा, पु० द० यौ० ( हि० बाल + तोड़ना) बाल टूटने से हुआ फोड़ा, बरतोर (प्रा० ) । वालधि, बालधी-संज्ञा, पु० (सं०) पूँछ, दुम | " बालधि घुमात्रे भरावे याग चारों श्रर' - कवि० । बालना, वारना - स० क्रि० दे० (सं० ज्वलन ) जलाना । प्रे० रूप-बलवाना। बालपन बालापन - संज्ञा, पु० (सं० बाल + पन- प्रत्य० ) लड़कपन, शिशुपन । बाल-बच्चे - संज्ञा, पु० यौ० (सं० बाल --- बच्चा हि०) लड़के बाले थौलाद । बाल-विधवा -- संज्ञा, स्त्री० (सं०) छोटी अवस्था की रंडा स्त्री | संज्ञा, पु० (सं० ) बाल- वैधव्य | बालबोध - संज्ञा, खो० यौ० (सं०) शिशु-ज्ञान, देवनागरी लिपि । बालभोग - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्रातःकाल का नैवेद्य जो देवताओं या बालराम चौर कृष्ण की मूर्तियों के श्रागे रक्खा जाता है । बालम - संज्ञा, पु० दे० (मं० वल्लभ ) प्रिय For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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