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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - बबूला १२३४ बयारी काँटेदार पेड़ । “बोवे बीज बबूल के, दाख । अपना दोष न मान कर रुष्ठ हो हठ करना । कहाँ ते खाय"-लो। अ० क्रि० (दे०) बम्हनियाना। बबूला-संज्ञा, पु० दे० (हि. बाउ--गोला)/ बयन-बैन* संज्ञा, पु० दे० (सं० वचन ) बगूला, बवंडर, वायु-चक्र, (दे०) बुलबुला। बात, वाणी, बचन, भयन (दे०)। बबेसिया-संज्ञा, पु० (दे०) गप्पी. प्रलापी, बयना स० कि० दे० (सं० वपन ) बीज गपोड़िया, बवासीर के रोग वाला। बोना । स० क्रि० दे. (सं० वचन ) कहना, बबेमी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) अर्श रोग, बवा- बखान करना । संज्ञा, पु० दे० (हि. वैना) सीर रोग। बैन वचन, बैना, इष्ट मित्रों या बंधुनों के बब्बी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) चूमा, चूमी, यहाँ उत्सवों पर भेंट या व्यवहार-रूप में चुम्बन, मच्छी। कुछ खाने-पीने की वस्तुएँ भेजना, बायना बभूत-सज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० विभूति ) धन, लक्ष्मी, ऐश्वर्य प्रताप, भस्म, भभूत (ग्रा० ।। (दे०)। बम-संज्ञा, पु० दे० ( अंक बाँब ) विस्फोटक बरनी*-वि० दे० ( हि० घयन ) बोलने वाली । “ कहिं गान कल कोकिल बयनी" वस्तुओं से भरा लोहे का गोला । संज्ञा, पु० --रामा० । (अनु० ) शिवोपासकों का बम बम बम बयस--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वयस् ) उम्र, शब्द । यो०-बमशंकर, बमभोला। मुहा०-बम बातना या बम बाल अवस्था, वय, बैस (दे०)। | बयस-सिरामनि -संज्ञा, पु० दे० (सं० जाना---कुछ न रह जाना, धन-ऐश्वर्य का वयसशिरोमणि) यौवन, जवानी, युवावस्था । मिट जाना । संज्ञा, पु. ( कनाड़ी बंब = बया-संज्ञा, पु० दे० (सं० वयन - बुनना) बांस ) बग्घी, एक्के आदि के धागे घोड़े रंग-रूप में गौरैया का सा एक पक्षी, इसका जोतने के लिये निकला एक या दो बाँस घोंसला बड़ी चतुरता तथा कौशल से सुन्दर या ल? । मुहा०-बम बजना- लड़ाई बना होता है। संज्ञा, पु० दे० ( अ० बायः में लाठी या अस्त्र चलना । लो० " कबौं न =बेचने वाला) अनाज धादि तौलने वाला। कायर रन चढ़े, कबौं न बाजी बम्"। बमकना-क्रि० अ० दे० ( अनु० ) बहुत बयान-संज्ञा, पु. ( फ़ा. ) हाल, वर्णन, बखान, वृत्तांत, विवरण, पाठ,अध्याय, बयाँ। शेखी या डींग हाँकना, क्रोध में जोर से बोलना। बयाना-संज्ञा, पु. (अ. बै+पाना फ़ा० बमना -स० क्रि० दे० (सं० वमन ) मुंह -- प्रत्य० । किसी बातचीत को पक्का करने से खाये पदार्थों का उगलना, उलटी या के लिये प्रथम से दिया गया कुछ धन, कै करना । सज्ञा, स्त्री० (दे०) बमन । मूल्य या पुरस्कार का निश्चय सूचक अग्निबम-पुलिस-सज्ञा, पु० दे० ( हि० बंपुलिस) मांश, पेशगी। स० क्रि० (दे०) बकना, जन साधारण के लिये म्यूनिसिपैलिटी-द्वारा कहना । " विवस बयाल हो"-रला। निर्मित पाखाना। बयार-बयार*-संज्ञा, सी० (दे०) ( सं० बमुजिब-क्रि० वि० (फा०) अनुसार, वायु ) वायु, पवन, हवा । मुहा०-जैसी मुताबिक, मुश्राफ़िक्त, अनुकूल । बयार बहना-जैसी परिस्थित हो, जैसा बम्हनी-बम्हनौती-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० स्थान और समय हो। “जैसी बहै बयार, ब्राह्मण ) छिपकली जैसा एक पतला लाल | पीठ तब तैसी दीजै "-गिर०। कीड़ा, नेत्र रोग, आँख की पलक पर फंसी, बयारी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वायु) वायु । बिलनी (दे०), (ग्रा.) ब्राह्मण सा दुराग्रह, | "घोर घाम हिम वारि बयारी"-रामा० । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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