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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बदला १२२८ बधना दूसरा नियत करना, विनिमय करना, परि-बदाम-संज्ञा, पु० दे० (फ़ा० बादाम) बादाम। वर्तित होना, एक जगह से दूसरी जगह " सोहत नर नग त्रिबिधि ज्यों, बेर, बदाम, नियुक्त होना । स० रूप-बदलाना, प्रे० रूप- अंगूर"-बूं। बदल गाना । मुहा०-बात बदलना बदिछ।-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वर्त ) बदला, -कही बात के पीछे और कहना, (उससे पलटा । अव्य० (दे०) बदले में, हेतु, वान्ते । विरुद्ध बात )। स० क्रि० वास्तविक रूप बदी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) अँधेरा पाख, कृष्ण से भिन्न करना, रूपान्तरित करना, एक पक्ष । संज्ञा, स्त्री. (फ़ा०) अहित, बुराई। वस्तु की पति दूसरी से करना। यौ० विलो०-- नेको-बदी । “नेकी का बदला-संज्ञा, पु. ( हि० बदलना ) लेने बदला नेक है बद कर बदी की बात ले।" देने का व्यवहार, विनिमय, एवज पलटा, बदौलत-क्रि० वि० (फ़ा०) द्वारा, प्रताप या प्रतीकार किसी व्यवहार के उत्तर में वैसा सहारे से कारण या कृपा से । ही व्यवहार, एक वस्तु की क्षति या स्थान की | बद्दर-बद्दला-संज्ञा, पु० दे० (हि. बादल) पूर्ति के लिये दूसरी वस्तु महा-बदला बादल. मेघ । देना ( लेना )-- बुराई के बदले बुराई बद्ध- वि० (सं०) बंधा हुआ. कैद, भव-जाल करना । नतीजा परिणाम में फँसा, सीमित, निर्धारित, जिसके लिये बदलो--संज्ञा, स्त्री० (हि. बादल ) बदरी रोक या सीमा ठहरायी गई हो, मुक्ति(दे०) हलका या छोटा बादल, घन का रहित । संज्ञा, स्त्री० बद्धता । “जीव बद्ध है फैलाव संज्ञा, स्त्री. ( हि० बदलना । एक ब्रह्म मुक्त है अंतर याही जानो'"-मन्ना । स्थान से दूसरे स्थान पर नियुक्ति तबादिला बद्धकोष्ट --- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दस्त साफ तबदीली. एक वस्तु के स्थान पर दूसरी न होना, मलबद्ध या कब्ज़ (रोग)। रखना । "नज़र बदली जो देखी उस सनम | बद्ध-परिकर-वि० (सं०) तैयार, कटिबद्ध, को"--स्फु० । प्रस्तुत, कमर बाँधे ( कसे ) हुये। " बद्ध बदलौवल-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० बदलना) | परिकर हैं सभी परलोक जाने के लिये" हेर-फेर, अदल-बदल, बदलने का काम ।। बदस्तूर-क्रि० वि० (फा० जैसा का तैसा, बद्ध पद्मासन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पद्मानियम या कायदे के अनुकूल, ज्यों का त्यों, सन लगाकर, हाथों को एक दूसरे पर पीठजैसा था वैसा ही। पीछे चढ़ा दाहिने हाथ से दाहिने पैर के बदहज़मी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (फ़ा०) अजीर्ण, | और बाँये से बाँये के अंगूठे पकड़ कर बैठना अपच (रोग)। ( हठयोग)। बदहवास-वि० यौ० (फा० ) उद्विग्न, बद्धांजलि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) प्रणामार्थ अचेत, व्याकुल, विकल, बेहोश।। दोनों हाथ जोड़ना। बदा - वि० दे० । हि० घदना ) भाग्य में | बद्धी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वद्ध ) बाँधने लिखा, विधि-विधान । या कसने का तसमा, डोरी, रस्सी, गले का पदान संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. मदना)। चार लड़ों का एक गहना। बदना क्रिया का भाव । बध- संज्ञा, पु० (सं०) हत्या, हनन, मारना । बदाबदी-संज्ञा, स्त्री० (हि. बदना) दो | बधना-स० क्रि० दे० (सं० बध+ना-प्रत्य०) पक्षों की परस्पर प्रतिज्ञा, लाग-डाँट, हठ, । वध या हत्या करना, मार डालना । प्रे० रूपशर्त या बाजी, भाग्य-विचार। बधाना, बधवाना । संज्ञा, पु. ( सं० For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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