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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बजबजाना १२२१ बटन बजबजाना-प्र० कि० (दे०) सड़ने से झाग | बजाज, बजाज-संज्ञा, पु० दे० (अ० बज्जाज़) उठना। कपड़े की दूकान करने वाला, घस्त्रबजमारा*-वि० दे० यौ० ( हि० वज्र + | व्यापारी । स्त्री० बजाजिन । मारा ) वन से मारा हुआ, जिस पर वन बजाजा-संज्ञा, पु० (फा०) वह बाज़ार जहाँ गिरा हो । स्त्री० बजमारी। " हौंही बज- बजाज़ों की दूकाने हों। मारी मारो मारी फिरियो करौं”-रसाल। बजाज़ी- संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) बजाज़ का बजरंग, बजरंगो* --- वि० दे० यौ० (सं० कार्य, पेशा या दूकान । वज्रांग ) वज्र सा कठोर शरीर वाला हनु-बजाना-स० कि० दे० ( हि० बाजा ) बाजे मान जी। " महावीर विक्रम बजरंगी" श्रादि पर चोट पहुँचा या हवा का दबाव -हनु । डाल कर शब्द करना, मारमा, श्राघात बजरंगबली-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० करना, पूरा करना । प्रे० रूप-बजवाना । वज्रांग + वली ) हनुमान जी, महावीर जी ! संज्ञा, स्त्री० -बजवाई। मुहा०-ठोंकना बजर*-संज्ञा, पु० दे० (सं० वज्र ) वज्र, बजाना। बज्जुर (ग्रा० )। बजाय-भव्य ० (फ़ा०) बदले, एवज़, स्थान बजरबट्ट-संज्ञा, पु० दे० (सं० वज्र+बट्टा या जगह पर । पू० क्रि० (हि० बजाना) बजाकर। हि.) एक पेड़ का बीज जिसे दृष्टि-दोष से जा*--संज्ञा, पु० दे० (फा० बाज़ार ) बचाने के लिये बच्चों को पहिनाते हैं। हाट. बाज़ार, बजारू (दे०)। " जाय न बजरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० वज्रा ) वजड़ा, बरनि बिचित्र बजारू'' ... रामा० । वि.बड़ी पटी हुई कमरे की नाव । संज्ञा, पु० दे० बजाइ (दे०), बाजारु (हि.) बाज़ार का । (हि. बाजरा ) बाजारा (अन्न)। बजूबा - सज्ञा, पु० (दे०) काली हाँड़ी जो बजरागि, बजरागा* -- संज्ञा, स्त्री० द० यौ० खेतों में लगाई जाती है, विजूखा (प्रांती०)। (सं० बज्राग्नि ) बिजली, विद्युत । बजरी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वज्र) ककड़ी, । बजर, बाजुर - संज्ञा, पु० दे० (सं० वज्र) वज्र । छोटे छोटे कंकड़, छोटा बाजरा, किले आदि बझना, बझावना-अ० कि० दे० (सं० पर छोटा दिखावटी कँगूरा, भोला। वद्ध ) बँधना, हठ करना, उलझना, फँसना, बजवैया - वि० दे० ( हि० बजवाना) बजाने. भिड़ना । स० रूप-बझाना, प्रे० रूपवाला, जो बजाता हो, बजैया (दे०)।। बझवाना। बजा-वि० (फा०) ठीक, उचित, सही। बझाव--संज्ञा, पु० दे० ( हि० बझाना ) उल( विलो० -बेजा )। स० रु० जा। यौ० ___झाव, फँसाव । संज्ञा, स्त्री० बझावट । जा बजा-जहाँ-तहाँ, इधर-उधर । जा बट-संज्ञा, पु० दे० ( सं० वट ) बरगद का बेजा-उचितानुचित । मुहा०-बजा | पेड़, बड़ा या बरा ( भोजन ) बाट, ( बटलाना-कर लाना, पालन या पूर्ण ___ खरा) रस्सी की ऐंठन, बटाई, गोला, लोढ़ा, करना। बजाकर--डंका पीट कर, खुल्लम- __बट्टा । “बट-छाया बेदिका सुहाई''--रामा०। खुल्ला । ठोंक-बजाकर-भली-भाँति बरई-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० वर्त्तक ) बटेर जाँच कर। पक्षी। बजाक-संज्ञा, पु० (दे०) सर्प विशेष। बटखरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० वटक ) पत्थर बजागि-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं० वज्र+ का बाट जिससे वस्तुयें तौली जाती हैं। अग्नि ) वज्र की अग्नि, बिजली, बलागी। | बटन-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० वटना ) ऐठन, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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