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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रपंची ११७६ प्रभंजनजाया " मोंहि न बहु परपंच सुहाहीं"- रामा० ! प्रपंची - वि० सं० प्रपंचिन् । ढोंगी श्राडं( चरी कपटी । प्रपंच करने वाला, छली, परपंची (६०) | प्रबंध - संज्ञा, पु० ( सं० ) निबंध, कमवद्ध लेख या काव्य, उपाय आायोजन, बंदोबस्त, योजना, मजमून व्यवस्था बंधान । वि० प्रबं । यौ० प्रबंधकर्ता । प्रपत्ति - संज्ञा स्त्री० (सं० ) अनन्य भक्ति प्रबंधकल्पना - संज्ञा स्त्री० यौ० (सं० ) या शरणागत होने की भावना | सत्यासत्य कथा तथ्या तथ्य कल्पित निबंध । प्रवर - संज्ञा, क्रि० ( सं० ) श्रतिश्रेष्ठ | प्रबल - वि० सं०) महान्, अति वली, प्रचंड, उम्र घोर । त्रो० धवला | संज्ञा, पु० प्राबल्य संज्ञा, स्त्री० प्रबलता । प्रचाल - संज्ञा, पु० (सं० ) विद्रुम, मूँगा । प्रबुद्ध - वि० (सं०) पंडित, ज्ञानी खिला हुया. जगा हुआ सचेत | संज्ञा, श्री० प्रबुद्धता । प्रबाध - संज्ञा, पु० (सं०) परबोध (दे० ) जागना पूरा बोध या ज्ञान, समझाना, चेतावनी, तरली सान्वना । (वि० प्रोधक. प्रबाधित ) । C 7 प्रबोधन संज्ञा, पु० (सं० ) जागना, जगाना जताना समझाना, सांत्वना, ज्ञानदेना, ज्ञानार्थबोध घेताना, चेत, सावधान करना वि० प्रति प्रबोधना* - ६ -- स० क्रि० दे० (सं० प्रबोधन ) नींद जगाना या उठाना, सचेत करना, जनाना, सिखाना, समझाना-बुझाना, सान्त्वना देना, पाठ पढ़ाना, परबोधना (दे०)। "लगे प्रबोधन जानकिहि" -- रामा० । प्रवाधिता - संज्ञा स्त्री० (सं०) एक वर्ण-वृत्ति मंजुभाषिणी (पिं० ) प्रियंवदा सुनंदिनी | प्रबोधिनी - पंज्ञा स्त्री० (सं० ) कार्तिक, शुक्ला, देवोत्थान एकादशी | वि० सं०-प्रवोध देने वाली । प्रभंजन - झा, पु० (सं० ) प्रवल वायु, थाँधी, नाश, तोड़फोड, नष्ट-भ्रष्ट । वि० प्रपन्न - वि० (सं० ) शरणागत. आश्रित, प्राप्त प्रजान् पाहतो प्रभो - ० द० । प्रपा - संज्ञा जी० (सं०) पौसरा पौपला, प्याऊ । प्रपाठक - पंज्ञा पु० (सं०) वेदादिना श्रौत थों के अध्यायों का एक भाग । प्रशत – संज्ञा, पु० ( सं० ) पर्वतों का पार्श्व या किनारा, ऊंचे से गिरती जब वार, दरी, भरना, जहला नीचे गिरना : प्रपितामह - संज्ञा पु० (सं० ) परदादा, परमेश्वर, परब्रह्म । ( श्री० प्रपितामही ) प्रपीड़न-संज्ञा पु० (सं० ) प्रत्यंत कष्ट देना | संज्ञा, पु० प्रपीक वि प्रपीड़नीय ) ! 1 प्रपुंज - संज्ञा पु० (सं० ) समूह मुंड । प्रपुत्र - संज्ञा, पु० (सं० पुत्र का पुत्र, पोता । प्रपुना -- संज्ञा पु० (दे० ) पुना (सं० ) एक औषधि, पुनर्नवा | प्रपोत्र - संज्ञा १० (सं० ) परपोता, पुत्र का पोता, पोते का लड़का । (सी० प्रत्र) प्रफुड़ना, प्रफुलना - ० क्रि० दे० (सं० प्रफुल्ल ) फूलना, खिलना प्रपत्र होना । प्रफुला - संज्ञा स्त्री० दे० ( २० प्रफुल्ल ) कमलिनी कुमुदनी, कुई, कमल । प्रफुलित - वि० दे० (सं० प्रफुल्ल ) फूला या खिला हुआ, कुसुमित, विकसित, प्रसन्न । प्रफुल्ल - वि० सं०) खिला विकसित, या फूला हुआ आनंदित, प्रसन्न उपयुक्त | संज्ञा, स्त्री०-- प्रफुल्लता । प्रफुलित - वि० (सं० ) विकसित खिला या फूला हुआ, प्रफुलित (द०) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंजनीय, प्रमंजक । प्रभंजनजाया-- संज्ञा, सी०वि० (सं०) वायुपत्नी | संज्ञा, पु० ६० (सं० प्रभंजन ) हनुमान् भीमसेन, प्रभंजनजात । "कोल्हेड fare प्रभंजनजाया " - रामा० । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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