SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूर्ण ११५१ पृथिवी पूर्वा-- संज्ञा, स्त्री० (सं०) पूर्व दिशा, एक घास श्रादि का बंधा हुआ मुट्ठा । स्त्री. नक्षत्र । वि० पूर्वज पूर्व पुरुष । अल्पा---पूली। पूर्वानुरग्ग- संज्ञा, पु० यौ० (सं० किसी के पुष - संज्ञा, पु० दे० ( सं० पौष ) पूस या गुण-श्रवण चित्र दर्शन या रूप देखने से । पौष माप। उत्पन्न प्रेम पर्वराग प्रेम की प्रथम जागृति, पृषण-संज्ञा, पु. (सं०) सूर्य पशुओं का पूर्वानुक्ति। पालन पोषण करने वाला एक देवता वेद) पूर्वापर-कि. वि. यौ० (सं.) आगे- १२ आदित्यों में से एक। पीछे। वि० आगे-पीछे का पिछला-अगला । पृषा--संज्ञा, पु० (सं०) सूर्य, पोषक, पूषण । पूर्वापरय--सज्ञा, पु० यौ० (सं०) पूर्व पर " स्वाधीनः पूषा विश्ववेदाः "... यजुर्वेद । का भाव, प्रागा-पीवा। पस-संज्ञा. पु० दे० ( सं० पौष ) अगहन के पूर्वाफालानी .... संज्ञा, स्त्री० यौ० सं०) २७ बाद का चांद्र माम, पौष ।। नक्षत्रों में से ११ वाँ नक्षत्र। पृक्का-संज्ञा, स्त्री० (सं०) असबरंग । पृक्ष-संज्ञा, पु० (सं०१ अन्न, अनाज । पूर्वाभाद्रपद --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) २७ | नक्षत्रों में से २५ वा नक्षत्र पृच्छक- वि० (सं० ) प्रश्न-कर्ता, पूछनेपूर्वाभिमख -- संज्ञा, पु० यो० (सं० ) पूर्व वाला, जिज्ञासु। दिशा की ओर मुख । वि० पूर्वाभिपुखी। पृच्छा - संज्ञा, स्त्री० (सं०) जिज्ञासा प्रश्न, पूर्व पक्ष । पूर्वाभ्याम-- संज्ञा, पु. यो० (सं०) प्रथम पृतना संज्ञा, स्त्री० (सं०। युद्ध, सेना, या पहले का अभ्याप. पहले की बान। फौज का एक भाग जिम में २४३ हाथी, पूर्वाद्ध-सज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्रारम्भ या इतने ही रथ, ७२६ घोड़े और १२१५ पैदल प्रादि प्रथम या पहले) का श्राध, भाग । सैनिक रहते हैं। ( विलो०-१रार्ध उत्तरार्ध)। पृथक- वि० (सं०) विलग, जुदा, भिन्न, पूर्धावधि-वि० यौ० (स०, पूर्वकालावधि, | पृथक् । ( संज्ञा, स्त्री० पृथक्तों ) चिरकाल पर्यन्त पृथक्करण--- संज्ञा, पु० यौ० सं०) भिन्न २ पूर्वावस्था-सज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) प्रथम | या अलग २ करने का कार्य । या पहले की अवस्थ या दशा। पृथकक्षेत्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) भिन्न वर्ण पूर्वाषाढ़ा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) २७ नक्षत्रों | की स्त्री से उत्पन्न पुत्र । में से २० वाँ नक्षत्र । पृथगामा- सज्ञा, स्त्री यौ० (सं०) वैराग्य, पव-संध्या - संज्ञा, स्त्री० यौ० सं०) प्रभात। विवेक, विराग पूर्वार--- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सबेरे से दो पृथगजन-संज्ञा, पु. यौ० सं०) साधारण पहर तक का समय ( विलो०-पराह्न)। या अन्य लोग, मुर्ख, नीच पापो, प्राकृत । पूर्वी वि० दे० (सं० पूर्वीय ) पूरब का, पृथििध-- अल्प. यौ० (सं०) नाना प्रकार, पूर्व दिशा संबंधी । संक्षा, पु० (दे०) पूर्व देश अनेक प्रकार. विविध, बहुरूप । का चावल, या नम्बाकू एक दादरा पृथवी.निधी पृथ्वी- सज्ञा, स्त्री. ( सं० ) (विहारी भाषा का गीत )। भूमि, मेदनी वसुधा अनि वसुन्धरा। प्रवेक्ति वि० यौ० (सं०) प्रथम कथित, पृथा-सज्ञा, स्त्रो० (सं०) कुंतिभोज की कन्या पहले का कहा हुआ. मजकूर (फ्रा)। कंती । सज्ञा, पु. ( अपत्य० सं० ) पाथ। पूला, परा-सज्ञा, पु० दे० ( सं० पूलक) पृथिवी-सज्ञा, स्रो० सं०) भूमि, धरती। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy