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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पारचा १११६ पारस्कर पारचा-संज्ञा,पु० (फा०) खंड, भाग, टुकड़ा, -- स० क्रि० दे० ( हि० पालना ) पालना, अंश, परचा कपड़े या कागज का टुकड़ा, पोषना। एक तरह का रेशमी वस्त्र, पहनावा पारमार्थिक-वि० (सं०) परमार्थ या पारजात *-संज्ञा, पु० दे० (सं० पारिजात) मुक्ति-साधक, परमार्थ संबंधी, वास्तविक, एक देव-वृक्ष । ठीक ठीक । पारण-संज्ञा, पु. ( सं० ) व्रत के दूसरे दिन पार लौकिक-वि० यौ० (सं० ) मुक्तिका प्रथम भोजन तथा तत्संबन्धी कृत्य, साधक, परलोक में अच्छा फल देने वाला, पूर्ण, समाप्ति, बादल. पारन (दे०) स्त्री स्वर्ग लोक सम्बंधी। विलो. लौकिक। पारणा । पावश्य-संज्ञा, पु. ( सं० ) पर वशता, । पारतंत्र्य-संज्ञा, पु. (सं०) परतंत्रता। पारशव--संज्ञा, पु. ( सं० ) अन्य स्त्री से पारत्रिक-वि० ( सं० ) पारलौकिक, मुक्ति- उत्पन्न, एक वर्ण-संकर जाति, लोहा, एक संबंधी। देश जहाँ मोती निकलते थे. पारसव(दे०) । हारथ- संज्ञा, पु० दे० (सं० पार्थ ) पार्थ, पारपद *---सज्ञा, पु० दे० (सं० पार्षद) अर्जुन । “पारथ से ठाढे पुरुषारथ को छाँड़े। पार्षद, सेवक, दास, मंत्री, साथी। ठिग-"। पारस-संज्ञा, पु. दे० (सं० स्पर्श) एक कल्पित पारथिव-संज्ञा, पु० दे० (सं० पार्थिव ) स्पर्श मणि जिसके छू जाने से लोहा सोना हो पार्थिव, पृथ्वी-संबंधी। जाता है, " पारप परसि कुधातु सुहाई" पारद- संज्ञा, पु० ( सं० रस, पारा. फारस -रामा० । अत्यन्त उपयोगी या लाभदायक की एक पुरानी जाति। नंक न आव मयंक- वस्तु । वि० --- पारस के समान, स्वच्छोत्तम, मुखी परजंक पै पारद की पुतरी सी" नीरोग । *संज्ञा, पु० दे० (सं० पाव) निकट, पारदरिक-संज्ञा, पु. ( सं० ) परस्त्रीरत । पास । संज्ञा पु० (हि परसना ) परोसा पारदर्शक -- वि० ( सं० ) वह वस्तु जिसमें हुआ भोजन, मिठाई आदि का पत्तल । उस के दूसरी ओर के पदार्थ दिखलाई दें, . संज्ञा. पु० दे० (सं० पारस्य ) प्राचीन जैसे कांच या शीशा। काम्बोज और वाह्नीक के पश्चिम का देश, पारदर्शी-वि० सं० पारदर्शिन् ) दूरदर्शी | फारसा अग्रसोची, चतुर, बुद्धिमान ज्ञानी। पारसनाथ-- संज्ञा, पु० दे० ( सं० पार्श्वनाथ) पारधी-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पारिधान ) जैनियों के एक तीर्थकर । व्याध, शिकारी, बहेलिया, वधिक, हत्यारा। पारसव* --- संज्ञा, पु० दे० (सं० पारशव) " धनुष बान लै चला पारधी"..-कबी०।। पराई स्त्री में जन्मा पुत्र, पारशव । पारन-संज्ञा, पु० दे० (सं० पारण ) पारण। पारसी- वि० दे० (फा० फारस ) पारस पारना-स० क्रि० दे० (हि. पड़ना)। देश संबंधी, पारस का। संज्ञा, पु०-बंबई गिराना, लेटाना, पहाड़ना, रखना । यौ० और गुजरात के वे निवासी जिनके पूर्वज --पिडा पारना-श्राद्ध या पिंडदान हजारों वर्ष पूर्व मुसलमान होने के भय से करना, उत्पात या बखेड़ा मचाना, अंतर्गत फारस त्याग कर आये थे, पारसी लोग। करना, पहनाना, बुरी बात घटित करना, पारसीक-संज्ञा, पु० (सं०) फारस देश का, जमा या ढालकर तैय्यार करना, जमाना,- फारसवासी, फारस का घोड़ा। जैसे काजल पारना । * अ० क्रि० दे० पारस्कर--संज्ञा, पु. (सं०) एक प्राचीन (हि. पार लगना ) समर्थ होना । *+ देश, गृह्यसूत्रकार एक मुनि । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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