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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहाडिया ११०४ पहुँची पहार (ग्रा०)। "नौ के लिखत पहार"-तु०। पहीत*-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० पहती) पहाड़िया-संज्ञा, स्त्री० (दे०) छोटा पहाड़, दाल। पहाड़ी। वि० पर्वतीय, पर्वत-वासी। पहुँच--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रभूत) पैठ, पहाडी-संज्ञा, स्त्री. (हि. पहाड़ + ई- प्रवेश, गुजर, रसाई, पहुँचने की सूचना, प्रत्य०) छोटा पहाड़, राग या गान । वि० रसीद, फैलाव, विस्तार, पकड़, दौड़, (दे०) पर्वतीय । परिचय, दखल, समझने की शक्ति या पहारू, पाहरू-संज्ञा, पु० दे० (हि० पहरा) सामर्थ्य,जानकारी, अभिज्ञता की मर्यादा या चौकीदार, पहरेवाला । 'नाम पहारू दिवस- शक्ति । "अपनी पहुँच विचारि कै"-। निसि, ध्यान तुम्हार कपाट"-रामा०। पहुँचना-अ० कि० दे० ( सं० प्रभूत ) एक पहिचान-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रत्यभिज्ञान) | जगह से चल कर दूसरी जगह प्राप्त लक्षण, निशानी, परिचय । यौ० जान होना। स० रूप पहुँचाना, प्रे० रूप पहिचान । पहुँचवाना। मुहा०—पहुँचा हुआपहिचानना-स० कि० दे० (हि. पहचानना) परमेश्वर के समीप पहुँचा हुआ, सिद्ध, चीन्हना, परिचित होना। वि० पहिचानने पता रखने वाला, जानकार, निपुण, उस्ताद । वाला । वि० (दे०) पहिचानी। प्रविष्ट होना, घुसना या पैठना, ताड़ना, पहित-पहिती*-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० समझना, मिलना, अनुभूत होना, समान पहित) पकी हुई दाल । या तुल्य होना, फैलना, एक दशा से दूसरी पहिनना-स० कि० दे० (हि. पहनना) में जाना भेजी या श्राई हुई वस्तु का पहनना । स० क्रि० पहिनाना, प्रे० रूप, मिलना। मुहा०-पहुँचने वालापहिनवाना । संज्ञा, पु. (दे०) पहिनावा पहिनाव। रहस्य या भेद का जानने वाला, जानकार। पहियाँ*t-अव्य० दे० (हि. पहूँ ) पास, | पहुँचा-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रकोप्ट) मणि समीप, निकट, पर, से। बन्ध, कलाई, हाथ की कुहनी से नीचे का पहिया-संज्ञा, पु० दे० (सं० परिधि ) धुरी | भाग । अ० क्रि० सा० भूत० गया, प्राप्त पर घूमने वाला चक्र, चक्कर, चक्का, चाका, हुआ । “ वहाँ पहुँचा कि फरिश्तों का भी चाक (द०)। मकदूर न था"। पहिरना-स० कि० दे० ( हि० पहनना ) पहुँचाना ७० क्रि०दे० हि• पहुँचना का स० पहनना,। स० क्रि० पहिराना, प्रे० रूप रूप) एक जगह से दूसरी जगह किसी को पहिरवाना। प्रस्तुत या प्राप्त कराना, ले जाना, किसी के पहिरापनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० पहनावा) । साथ जाना, भेजना, किसी विशेष दशा में पहनावा । संज्ञा, पु० (दे०) पहिराव।। उपस्थित करना, प्रविष्ठ कराना, लाकर या पहिला-वि० दे० (हि. पहला) पहला, ले जाकर कुछ देना, अनुभूत कराना, तुल्य प्रथम, प्रथम व्यायी या प्रसूता गाय या बनाना। भैंस । ( स्त्री. पहिली) | पहुँची- संज्ञा, स्त्री. ( हि० पहुंचा ) कलाई पहिले-श्रव्य० दे० ( हि० पहले ) पहले। का एक गहना, युद्ध में पहिनने का एक पहिलौठा-वि० पु० दे० (हि. पहलाठा ) दस्ताना । स० क्रि० सा. भूत-गयी, प्राप्त पहलौठा, प्रथमवार का जन्मा पुत्र । स्त्री० हुई । " हमारे हाथ की पहुँची तुम्हारे हाथ पहिलौठी। पहुँची हो"-स्फुट० । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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