SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिमोक्ष १०८६ परिवृत्त परिमोत्त-संज्ञा, पु. (सं०) पूर्ण मुक्ति या फेरा, घुमाव, अदल-बदल. रूपान्तर. हेर-फेर । मोक्ष, निर्वाण परित्याग । वि० प रवतनीय परिवर्तित, परिवर्ती । परिमोक्षगा + सज्ञा, पु० (सं०) मोक्ष या मुक्त परिवर्तित-वि० (सं०) रूपांतरित, बदला करना या होना परित्याग करना, छोड़ना।। । हुआ, बदले में प्राप्त । परियक-पजैक*- सज्ञा, पु. दे. (सं० परिवर्ती-वि० (सं० परिवर्तिन ) बारम्बार पर्यक ) पयंक, पलँग, बड़ी चारपाई, बदलने वाला परिवर्तनशील, जो बराबर प्रजक, परजक (द०)। घूमें। “ परवर्तिनि संसारे मृतः कोवा न परियन* -- संज्ञा पु० दे० (सं० पर्यंत ) | जायते"-चाण । स्त्री० परिवर्तिनी। पर्यन्त तक, लौं, परजंत, प्रजंत (दे०)। परिवर्द्धक-सज्ञा, पु. (सं०) परिवृद्धक, पारया-संज्ञा, पु० दे० (तामिल-परैयान ) अति बढ़ाने या तरक्की करने वाला। एक नीच जाति दक्षिण भा०) सा० भू० अ० परिवर्द्धन-संज्ञा, पु० (सं०) परिवृद्धि, तरक्की, क्रि० (दे०) पड़ा । "मुख में परिया रेत" बढ़ती प्रवर्धन । वि० परिवर्द्धित, परि पर्धनीय। कवी। परिरंभ-रिरंभगा-संज्ञा, पु. (सं.) परिवद्धित-वि० (सं०) उन्नति या वृद्धि आलिंगन गले या, छाती से लगा कर किया या बढ़ाया हुश्रा, प्रवर्धित ।। मिलना । वि० परिरंभ्य, परिरंभी। वि. परिवह-संज्ञा, पु. (सं०) एक पवन, अग्नि परिरभणीय। की जीभ । परिधा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं प्रति' दा) प्रतिपरिरंभक-संज्ञा, पु० (सं०) आलिंगन करने पदा, पड़िवा परेवा, परीवा (ग्रा)। या मिलने वाला परिरंभना-स. क्रि० दे० (सं० परिरंभ+ परिबाद- संज्ञा, पु. (सं०) अपवाद, निन्दा। परिवादनी-परिवादिनि-संज्ञा, स्त्री० (स.) ना = प्रत्य०) आलिंगन करना, गले या वीणा बाजा । “कलतया वचपः परिवादिनी छाती से लगाना। स्वरजिता रजिता वशमाययुः "-माघ । परिलंबन- सज्ञा, पु० (सं०) भाचक्र का । पग्विादी वि० (सं०) निन्दक, निन्दा करने २७ अंश पर एक कल्पित वृत्त रेखा। वाला। परिलेख-सज्ञा, पु० (स०) चित्र का ढाँचा, परिवार--संज्ञा, पु० (सं०) श्रावरण, कोष, खाका, चित्र तसवीर चित्र खींचने की वंश, कुटुम्ब, कुल । “सुत, वित, नारि 1 ची या कलम उल्लेख, वर्णन । बन्धु परिवारा ''-रामा० । पारलखन-सज्ञा, पु० सं० किती के चारों पारवाम-सज्ञा, पु. (सं०) घर, मकान, ओर रेखायें खींचना, ख़ाका, चित्र वर्णन । सुगन्धि, ठहरना । परिलेखना-स० कि० दे० (स० परिलेख+ | पग्विाह-सज्ञा, पु० (सं०) जल-धारा का ना=प्रत्य०) मानना, जानना, समझना। तीव्र बहाव, बाढ़, प्रवाह । परिधत-सज्ञा, पु. (स०) चक्कर, फेरा, पग्वृित-वि० (स०) वेष्टित, प्रावृत, ढका, घुमाव, विनिमय, बदला।। | छिपाया या घिरा हुआ। परिवर्तक-सज्ञा, पु० (सं०) घूमने-फिरने परिवात-संज्ञा, स्रो० (सं०) वेष्टन, ढकने, या चकर खाने वाला घुमाने या चक्कर देने घेरने या छिपाने वाला पदार्थ । वाला, उलटने-पलटने या बदलने वाला। परिवृत्त-वि० (सं०) वेष्टित, घेरा हुमा, परिवर्तन-संज्ञा, पु० (सं०) श्रावर्तन, चक्कर, उलटा-पलटा हुआ । मा. श० को -१३, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy