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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - परितोषक १०८७ परिपूरक परितोषक-संज्ञा, पु० (सं०) तृप्ति या संतोष परिनय% - संज्ञा, पु० दे० (सं० परिणय) करने वाला, प्रसन्न करने वाला। विवाह. व्याह, पाणि-ग्रहण ।। परितोषण-संज्ञा, पु० (सं०) परितुष्टि, सं. परिनिर्वाण-संज्ञा, पु० (सं०) पूर्ण मोक्ष, तोष । वि० परितोषणीय। मुक्ति, छुटकारा । परितोस*-संज्ञा, अ० दे० (सं० परितोष) | परिनिष्ठित- वि० (सं०) परिज्ञात, ज्ञानी, परितोष, संतोष, तृप्ति । प्रतिष्ठित, सम्मानित । परित्यक्त-वि० (सं०) त्यागा हुआ, छोड़ा | परिन्यास- संज्ञा, पु० (सं०) काव्य में वह हुश्रा, दूर किया या फेंका हुआ । स्त्री०परि- स्थल जहाँ कोई विशेष अर्थ पूर्ण हों, नाटक त्यक्ता। में मूल घटना का संकेत से सूचना करना परित्याग-संज्ञा, पु. (सं.) त्यागना. (नाट्य०)। छोड़ना, निकाल या अलग कर देना । वि० परिपंच-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रपंच) प्रपंच, परित्यागी। बखेड़ा, झंझट, चालबाजी, परपंच (दे०)। परित्याज्य- वि० (सं०) त्यागने-योग्य, | परिपक्व-वि० (सं० पूर्ण तया पका या छोड़ने के योग्य, अलग या दूर करने योग्य । पचा हुश्रा । संज्ञा, स्त्री० परिपक्वता- पूर्ण परित्राण-संज्ञा, पु० (सं०) रक्षा, बचाव । रूप से फूला हुआ, प्रौढ़, अनुभवी, कुशल, "परित्राणाय साधूनाम् "-गीता० । | प्रवीण । “परिपक्व कपित्थ सुगंधि-रसम्"परित्रात-वि० (सं०) रक्षित, पालित। भो० पु.। परित्राता-वि० (सं०) रक्षक, पालक ।। परिपंथी-संज्ञा, पु० (सं० परिपंथिन् ) शत्रु, परिदान--संज्ञा, पु. (सं०) परिवर्तन, विनि रिपु, विपक्षी चोर, ठग, लुटेरा। मय, बदला, लेन-देन । परिपाक-संज्ञा, पु० (सं०) पकना, पकाया परिदेवक-वि० (सं०) विलाप-कर्ता, दुख जाना, प्रौढ़ता, पूर्णता, अनुभव, निपुणता, देने वाला, दुखदायी, जुपारी ।। कुशलता, चतुरता, जानकारी बहुदर्शिता । परिदेषन-संज्ञा, पु० (सं०) पश्चाताप, परिपाटी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) रीति, पद्धति, पछतावा. विलाप, जुधा का खेल । "तत्र ढंग, शैली, सिलसिला, क्रम, प्रथा । "प्रगटी काः परिदेवना"--गीता०। स्त्री०परिदेवना। धनु-बिघटन परिपाटी".-- रामा० । परिध--संज्ञा, पु० दे० (सं० परिधि) परिधि । परिपार- संज्ञा, पु० (सं० पालि ) सीमा, परिधन-संज्ञा, पु० दे० (सं० परिधान) मर्यादा । परिधान, धोती, कपड़ा, अधोवस्त्र परिपालन-संज्ञा, पु० (सं०) रक्षा, बचाव, परिधान-संज्ञा, पु. (सं०) वस्त्र धारण बचाना । वि० परिपाल्य, परिपालनीय । करना. कपड़ा पहनना, वस्त्र, धोती, कपड़ा | परिपालक-संज्ञा, पु० (सं०) रक्षा-कर्ता, "परिधान वल्कलं ".-भत्त । पालन करने वाला। परिधि-संज्ञा, स्त्री. (सं०) घेरा, मंडल, परिपालित-वि० (सं०) रक्षित, पाला हुआ। कुण्डल, गोला, कपड़ा, वस्त्र परिवेश । परिपिष्टक- संज्ञा, पु० (सं०) सीपा, धातु । परिधेय-वि० (सं०) पहनने के योग्य । संज्ञा, परिपुष्ट- वि० (सं०) जो भली भाँति पालापु० (सं०) वस्त्र, कपड़ा। पोषा गया हो, पोढ़, प्रौढ़ (दे०)। परिध्वंस-संज्ञा, पु. (सं०) अपचय, नाश, परिपूत -- वि० (सं०) पवित्र, शुद्ध । तति, हानि, एक वर्ण संकर जाति । परिपूरक-वि० (सं०) पूरा करने वाला For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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