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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परि - - Tama परायु १०८३ परायु-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) ब्रह्मा । परावर्तित-वि० (सं० ) पीछे फेरा या परार-वि० दे० ( सं० पर ) पराया, अन्य पलटा हुआ, उलटाया। या दूसरे का । संज्ञा, पु० (दे०)- पयाल, परावसु-वि० (सं० ) असुरों का पुरोहित, "धान को खेत परार तें जानो" -सुन्द। एक गंधव, विश्वामित्र का एक पुत्र । परारध*-संज्ञा, पु० दे० (सं० पराद्ध) पराधह-संज्ञा, पु० ( सं० ) एक वायु-भेद । एक शंख की संख्या, ब्रह्मा की श्रायु का | परावा, पराव-संज्ञा, पु० दे० (सं० पर ) श्राधा समय। अन्य या दूसरे का, पराव, पराया (दे०)। परारि-वि० (सं० ) बीता या धागे आने " करें मोह-वश द्रोह परावा"--रामा । वाला वर्ष । परावृत्त--वि० (सं०) फेरा, लौटा या बदला परास-संज्ञा, पु. (सं०) करेला, एक हुआ, उलटा हुआ। तरकारी। परावृत्ति-वि० (सं०) पलटाव, मुक़दमे परारब्ध-परालब्ध-संज्ञा, पु० दे० (सं० का पुनर्विचार, पुनरावृति। प्रारब्ध ) भाग्य, दैव, अदृष्ट । परावेदी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) भटकटैया, परार्थ-वि० यौ० (सं० ) परोपकार दूसरे कटई, कटेरी, कंटकारी (सं०)।। का कार्य, जो दूसरे के अर्थ हो, पर पराशर-संज्ञा, पु० (सं०) वशिष्ठ और शक्ति के पुत्र (पुरा०) एक स्मृतिकार, व्यास के निमित्तक । पिता। पराद्ध - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) एक शंख पराश्रय-वि० यौ० (सं०) परतंत्र, पराधीनता, की संख्या, ब्रह्मा की अर्ध आयु। परवशता, दूसरे का सहारा। वि०पराश्रित । परार्द्धि- संज्ञा, पु० (सं० ) विष्णु, ऋद्धि- परास*-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पलाश ) वान। एक पेड़ और उसके पत्ते, टेसू, छिउल । पराद्धर्य-वि० (सं) श्रेष्ठ, प्रधान, सवोत्कृष्ट । | परासी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक रागिनी, पराल-संज्ञा, पु. (दे०) (सं० पलाल ) (संगी०)। घास, तृण पलाल (दे०)। परासु-वि० (सं०) प्राण-हीन, गतप्राण, मृतक, गत-जीवन । परावत-संज्ञा, पु० (सं० ) फालसा।। परास्त-वि० (सं०) हारा हुआ, पराजित, परावन--- संज्ञा, पु० दे० (हि० पराना) विजित, पराभूत, ध्वस्त । भगदड़, भागना । अ० कि० (दे०) परावना। पराह-संज्ञा, पु० (सं०) भगदड़, भागाभाग, संज्ञा, पु. (सं० पर्व) पर्व।। देश-त्याग, भगाइ।अ० कि० (दे०)पराहना । परावना-संज्ञा, पु० दे० (सं० पर्व ) पुण्य परान्ह-वि० (सं० ) अपरान्ह, दोपहर के काल, पर्व । “ पूरे पूर व पुन्य तें, परयो पीछे का वक्त, तीसरा पहर, दिन का दूसरा पराक्न बाज"- मतिः । भाग। परावर-वि० (सं० ) सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम, परि-उप० (सं) सर्वतोभाव, वर्जन, व्याधि पास या दूर का, इधर-उधर का । शेष, इस प्रकार श्राख्यान भाग, वीप्सा, परावर्त- संज्ञा, पु० (सं) लौटना, पलटाव, आलिंगन, लक्षण, दोषाख्यान, दोष कथन अदल-बदल, लेन-देन । निरसन, पूजा, व्यापकता, विस्मृत, भूषण, परावर्तन-संज्ञा, पु० (सं.) लौटना, पल- उपरमा शोक, संतोष, भाषण, चारों ओर, टना, पीछे फिरना। (वि० परावर्तित अच्छी तरह, पूर्णता, अतिशय, पूर्णता, परावर्तनीय)। नियम-क्रमादि अर्थ-सूचक है। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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