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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नौतम नौतम - वि० दे० यौ० (सं० नवतम ) बिलकुल नया, ताज़ा, अति नवीन, हाली । नौता - वि० दे० (सं० नव ) नया, नवीन, नूतन | संज्ञा, पु० (दे०) न्यौता, निमंत्रण | नौधा - वि० दे० (सं० नवधा ) नवधा, नव प्रकार की, नौ तरह की । " नौधा भगति कहौं तोहि पाहीं नौ-नगा – संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० नौ + नग) हाथ के नौ भूषणों का समूह, वि० नौ नगों का गहना । त्रो० नौनगी । " रामा० । ܙܝ नौना - - अ० क्रि० दे० ( हि० नवना ) लचना, झुकना, नम्र होना । नौबढ़—वि० दे० ( हि० नौ + बढ़ना ) हाल ही में कंगाल से धनी हुआ व्यक्ति, हाल का बढ़ा हुआ । 81 मधुरी - भा० नौबत - संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) हर्षवाद्य, सहनाई, व्याह यादि के नगाड़े, बधाई । नौबत बजत कहूँ नारी - नर गावत हरि० । मुहा० - नौबत झड़ना - नौबत बजना, अवसर, मौका | किसी बात की नौबत न आना -- अवसर या मौक़ा न मिलना | नौबत बजना -- श्रानंदोत्सव होना, प्रताप आदि की घोषणा होना । यौ० नौबतिया नगाड़ा | नौबत खाना - संज्ञा, पु० 1 ( फा० ) नक्कार खाना, द्वार के ऊपर का स्थान जहाँ सहनाई बजाते हैं । १०४१ नौबती - संज्ञा, पु० ( फ़ा० नौबत + ईप्रत्य० ) नक्कारची या सहनाई वाला, नौबत बजाने वाला, पहरेदार, कोतल घोड़ा, बड़ा तम्बू | नौमासा - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० नवमास गर्भगत बच्चे का नवें महीने का संस्कार, ) पुंसवन | नौमि - स० क्रि० (सं० ) मैं नमस्कार करता हूँ ।" नौमीड्यतेऽवपुषे तडिदम्वराय "-- भाग० ।" नौमि जनक - सुतावरम्" - रामा० । नौमी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नवमी) नवमी, भा० श० को ०. 0- . १३१ न्यग्रोध नाउमी ( ग्रा० ) । " नौमी तिथि मधुमास पुनीता " - रामा० । नौरंगा -- संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० औरंग ) औरंगजेब बादशाह । सारंग है सिवराज 66 वली, जिन नौरंग में रँग एक नराख् - भु० । यौ० दे० – नया या रंग । नौरंगी। -- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० नारंगी ) नारंगी संतरा । वि० यौ० – नये या रंग वाला । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only د. नौरतन - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० नवरत्न ) हीरा, नीलम, पन्ना, पुखराज, चुन्नी आदि नौ रत्नों का समूह, नौनगाभूषण | संज्ञा, स्त्री० एक प्रकार की चटनी, नौरतनी । नौरोज़ – संज्ञा, पु० दे० (का० ) वर्ष का प्रथम दिन, पारसियों का उत्सव दिन । यौ० नौ दिन । नौल - वि० दे० (सं० नवल ) नवीन | " शिव सरजा की जगत में, राजति कीरति नौल " - भू० । - नौलखा - वि० दे० यौ० (हि० नौ + लाख) नौलाख रुपये के मूल्य का एक हार, बहु मूल्य जड़ाऊ हार | -मन्ना० । नौशा - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) वर, दूल्हा, दुलहा | नौसत - संज्ञा, पु० यौ० दे० (हि० नौ + सात) सोलह श्रृंगार, श्रृंगार । " नौसत साजे सजी सेज पै विराजै मनौ ' नौसादर - संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० नौशादर ) एक तीण औषधि (चार) । नौसिखिया - नौसिखुवा -- वि० दे० (सं० नवशिक्षित ) नया सीखा हुआ, अनुभवरहित, ना तजर्बेकार । नौसेना – संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) जल-सेना, जहाज़ी लड़ाई की फ़ौज । नौहड़-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं०नव = नया + हाँड़ी हि० ) मिट्टी की नयी हाँड़ी । न्यक्कार - संज्ञा, पु० (सं०) तिरस्कार, निन्दा, अनादर, घृणा । न्यग्रोध - संज्ञा, पु० (सं०) वट, वरगद, शमी वृक्ष, शिव, विष्णु ।
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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