SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतिमूर्ति । अनुराधना अनुवाद अनुराधना-स०, क्रि० (सं० अनुराध ) | अनुलेपन--संज्ञा, पु० (सं० ) किसी तरल विनय करना, मनाना, प्रार्थना करना, वि० वस्तु की तह चढ़ाना, लेपन, उबटन करना, अनुराधित वि० अनुराधक। बटना लगाना, लीपना। अनुराधा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) २७ नक्षत्रों | अनुलेपी संज्ञा, पु. (सं०) अंगलेप, में से १७ वाँ नक्षत्र, इसकी तीन तारायं हैं | __उबटन, बटना। इसका स्थान वृश्चिक राशि का मुख है। अनुलेपिन-वि० ( सं० ) अनुलिप्त, लीपा अनुराधनीय अनुराध्य ---वि० (सं० ) हुआ, उबटन या अंगराग लगाया हुआ । प्रार्थनीय, विनय के योग्य । " अंगराग अनुलेपित अंग".अनुरूप-वि० (सं० ) तुल्य, या समान अनुलोम- संज्ञा, पु. (सं०) ऊँचे से रूप का, सदृश, समान, योग्य, उपयुक्त, नीचे पाने का काम, उतार का सिलसिला, तुल्य, एकसा, अनुहार, अनुकूल । स्वरों का उतार, क्रमशः ( सङ्गीत ) अनुरूपक-संज्ञा, पु० (सं०) सदृश वस्तु, अवरोहण, वि० सीधा, क्रम से, अविलोम, यथाक्रम, सिलसिलेवार, जाति विशेष । अनुरूपता-संज्ञा, भा० सी० (सं.) अनुलोमज - संज्ञा, पु. ( सं० ) ब्राह्मण के औरस और क्षत्रिया के गर्भ से उत्पन्न समानता, सदृशता, अनुकूलता, उपयुक्तता। सन्तान। अनुरूपना* -संज्ञा, कि० (सं० अनुरूप) अनुलोपन-संज्ञा पु० (सं.) पेट की मल सदृश बनाना, अनुसार बनाना, समान वाली कड़ी गाँठों को गिराने वाली औषधि, रूप बनाना, नकल उतारना “ अंग अंग कब्ज़ियत को दूर करने वाली रेचक या अनुरूपियत, अँह रूपक को रूप"- पद्म० दस्तावर दवा। अनरूपित-वि० (सं०) अनुकूल बनाया अनुलामविवाह--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) हुआ, प्रानुरूप किया गया, सदृश बनाया उच्च वर्ण के पुरुष का अपने से नीचे वर्ण की स्त्री से विवाह । अनुरूपनीय-वि० (हि. अनुरूपना ) अनु अनुवर्तन संज्ञा, पु० (सं०) अनुकरण, रूप किये जाने के योग्य, नकल उतारने अनुगमन, समान पाचरण, अनुसरण किसी के योग्य । नियम का कई स्थानों पर बार बार लगना। अनुगंध-संज्ञा, पु. (सं० ) रुकावट, अनुवर्ग ---वि० (सं० अनुवतिन् ) अनुसरण बाधा, प्रेरणा, उत्तेजना, विनय पूर्वक हठ करने वाला, अनुयायी, अनुगामी, स्त्री. करना, आग्रह, दबाव उपरोध, अनुवर्तन, अनुतिनी। अपेक्षा, मुशाफ़िक। अनुवाक-संज्ञा, पु० (सं० ) ग्रंथ-विभाग, अनुन्नाप-संज्ञा, पु० (सं० ) पुनः पुनः अध्याय, या प्रकरण का एक भाग, वेद के कथन, बारबार कहना, मुहुः मुहुः श्रालाप अध्याय का एक अंश, अंश, स्कंध, करना, वि० अनुनापित, अनुलापनीय, | ग्रंथावयव । अनुलायक। अनुवाद-संज्ञा, पु. (सं०) पुनरुक्ति, अनुलिप्त-वि० (सं० ) अभिषिक्त, लिप्त, दोहराना, फिर कहना, भाषान्तर, उल्था, विदग्ध । तर्जुमा, वाक्य का वह भेद जिसमें कही हुई अनुलेप-संज्ञा, पु० (सं० ) लीपना, अंग- | बात का फिर फिर कथन हो, (न्याय० ) लेप, उबटन, पोतना। निंदा, अपवाद। हुश्रा। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy