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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नियंत्रण २०१२ नियोग नियंत्रण-संज्ञा, पु० (सं०) नियम में बाँधना सहिं जलद भूमि नियराये" "रीकमूक पर्वत या तदनुकूल चलाना । वि० नियन्त्रणीय।। नियराई"-रामा । नियंत्रित-वि० (सं० ) नियत से बँधा नियराना- अ० क्रि० दे० (हि. नियर+ हुआ, नियमवद्ध, प्रतिवद्ध । आना ) पास या समीप पहुँचना या पाना । नियत-वि० (सं.) नियम के द्वारा स्थिर या नियाईॐ --वि० दे० (सं० न्याय ) न्यायी न्यायशास्त्रज्ञ । बँधा हुआ, मुकरर, नियोजित, तैनात, स्थापित, निश्चित, ठीक । संज्ञा, स्त्री० [फा०) नियान - संज्ञा, पु. दे० (सं० निदान) फल, परिणाम | अव्य० (दे०) श्राखिरकार, अंत नीयत, इरादा। में निदान। नियताप्ति-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०, अन्य नियामक-संज्ञा, पु. (सं०) नियम या उपायों को छोड़ एक ही उपाय से फल व्यवस्था करने वाला, मारने वाला । स्त्री० की प्राप्ति का निश्चय (नाट०)। नियामिका । संज्ञा, स्त्री० नियामिकता। नियतात्मा-वि० यौ० (सं०) वशी, यमी, नियामत, न्यामत-संज्ञा, स्त्री० दे० (अ. यती, जितेन्द्रिय । नेअमत ) दुर्लभ या अलभ्य पदार्थ, स्वादिष्ट नियताहार, नियताहारी-वि० यौ० (सं०) या उत्तम भोजन, धन, लक्षमी । “लो परिमित भोजन, मितभुक, अल्पाहारी। " तन्दुरुस्तो हजार न्यामत है"। नियति-संज्ञा, स्त्री. (सं०) नियत होने का नियाय, नियाव--संज्ञा, पु० द० (सं० न्याय) भाव, स्थिरता, बन्धेज, भाग्य या भाग्यफल, न्याय, उचित व्यवहार, इन्सान, न्याय अवश्यंभावी बात। (ग्रा०)। नियतेन्द्रिय-वि० यौ० (सं०) जितेन्द्रिय, नियार-संज्ञा, पु० दे० (हि० न्यारा) सोनारों, संयत शरीर, प्रशांत चित्त । जौहरियों या सराफों की दुकान का कूड़ा । नियम-संज्ञा, पु. (सं०) दस्तूर, परम्परा, नियारा-वि० दे० ( सं० निर्निकट ) दूर, व्यवस्था, कानून-कायदा, शर्त. प्रतिज्ञा, योग अलग, जुदा, न्यारा (दे०)। नियारिया-संज्ञा, पु० दे० (हि० नियारा ) का एक अंग। नियमन-संज्ञा, पु. (सं.) कायदा बाँधना, न्यारिया, सुनार आदि की दुकान के कूड़े शासन । वि. नियमित, नियम्य । से सोना-चाँदी आदि का निकालने वाला। नियमबद्ध-वि० यौ० (सं०) कायदे का वि० (दे०) चतुर, चालाक । पावन्द, नियमों से बँधा हुआ। नियारे-क्रि० वि० द० (हि. नियारा) न्यारे, अलग, जुदा, पृथक । नियमशाली-वि. (सं.) नियमयुत, | नियुक्त-वि० (सं०) तैनात, मुकर्रर, नियो. नियमानुसार, कार्यकर्ता। जित, लगाया या तत्पर किया हुश्रा, प्रेरित नियमसेवा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) नियम स्थिर । “यथा नियुक्तोऽस्मि तथा करोमि " पालन । वि०-नियमसेवी। -गी । नियमित-वि० (सं.) क्रमवद्ध, नियम या नियक्ति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) तैनाती, मुकर्ररी। कायदे के अनुसार, नियमवद्ध । नियुत-संज्ञा, पु० (सं०) दस लाख की संख्या। नियरी-अव्य० दे० (सं० निकट अं० नियर) नियुद्ध-संज्ञा, पु० (सं०) कुश्ती, मल्लयुद्ध। समीप, पास । क्रि० वि० (दे०) नियरे, नेरे । नियोक्ता--संज्ञा, पु० ( सं० नियोक्त ) नियोग नियराई।-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. नियर+ करने वाला नियोजित-कर्ता ।। आई-प्रत्य०) सामीप्य, निकटता । "बर- नियोग-संज्ञा, पु. (सं०) नियोजित करने For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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