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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानारूप नाम नानारूप-संज्ञा, पु० (सं०) अनेक भाँति या नापाक-वि० (फ़ा०) अपवित्र, मैला-कुचैला, प्रकार । " सुन्दर खग रव नाना रूपा"- | अशुद्ध । संज्ञा, स्त्री० नापाकी । रामा०। नापित-संज्ञा, पु० (सं०) नाऊ, नाई, हज्जाम। नानार्थ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अनेक अर्थ । नाफ़ा-संज्ञा, पु. (फ़ा०) कस्तूरी की थैली । नाना-विधि-वि० यौ० (सं०) अनेक प्रकार नाबदान-संज्ञा, पु० ( फा० ना+भाव+ या उपाय । “नाना बिधि तहँ भई लड़ाई" दान) नरदा नरदवा, पनाला, पनारा(दे०)। रामा०। नाबालिग़-वि० (अ.+फा०) जो जवान नानाशास्त्रज्ञ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विविध न हुआ हो, न्यून, युवा । संज्ञा, स्त्री. नाबाविद्या-विशारद, षट् शास्त्री। लिगी। नानिहाल-संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि. नानी नाबूद-वि० (फा०) नष्ट-भ्रष्ट, ध्वस्त । +पाल = घर ) नाना या नानी का घर नाभ-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नाभि ) नाभि, या स्थान, नेनाउर, ननिहाल, ननियाउर | नाभी, तोंदी, ढोंढी, शिव जी, एक राजा, नानी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) माता की माता, अस्त्री का एक संहार । "पद्मनाभं सुरेशम् " -- रामा० । मातामही। मुहा०-नानी याद आना नाभादास-संज्ञा, पु० (दे०) भक्तमाल-लेखक या मर जाना-श्राफ़त सी आ जाना, दुख सा पड़ जाना। एक वैष्णव साधु । नानुकर-संज्ञा, पु० दे० (हि. ना+करना) नाभाग-संज्ञा, पु० (सं० ) एक सूर्यवंशीय नाही या इन्कार करना । राजा। नान्हा-वि० दे० ( सं० न्यून ) नन्हा, लघु, नाभि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) गाड़ी के पहिये के छोटा, महीन, पतला, नीच, तुच्छ । मुहा० बीच का खंड, चक्र-मध्य, नाभी, तोंदी, -नान्ह ( नन्हा ) कातना-बहुत ही कस्तूरी । संज्ञा, पु० प्रधान राजा, व्यक्ति या महीन बारीक या हलका कायें करना, पदार्थ, गोत्र, क्षत्रिय । महा कठिन या दुष्कर कार्य करना । नामंज़र-वि० (फ़ा०) अस्वीकार, जो माना नान्हक-संज्ञा, पु० ( दे० नानक) नानक । | न गया हो । संज्ञा, स्त्री० नामंजूरी। नान्हरिया *--वि० दे० (हि. नान्ह ) नाम-संज्ञा, पु० (सं० नामन्) संज्ञा, भारव्या, छोटा। किसी पदार्थ का बोधक शब्द, नाँव (प्रा.)। नान्हा -वि० दे० (हि० नन्हा ) नन्हा, वि० नामी । मुहा०-नाम उछालनाछोटा। बदनामी या निन्दा कराना । नाम उठ नाप-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मापन ) माप, जाना-चिन्ह मिट जाना। किसी बात तौल, परिमाण । का नाम करना-कोई कार्य नाम मात्र नाप-जोख-नापतौल-संज्ञा, स्री० यौ० को करना, पूर्ण रूप से न करना । किसी (हि०) नापना+जोखना=तील ) मात्रा या परिमाण, जो तौल-नाप कर ठहराई जावे । का नाम करना (होना)-किसी की नापना-स० क्रि० दे० (सं० मापन) मापना । ख्याति या प्रशंसा करना (होना)। नाम का मुहा०-सिर नापना-सिर काटना । -नाम-धारी, कहने भर को | नाम के रास्ता नापना-चलते बनना । किसी लिये या नाम को-थोड़ा सा, कहने भर पदार्थ का परिमाण जानना। को, यथार्थ । नाम चढ़ना (चढ़ाना)नापसंद-वि० (फा०) अप्रिय, जो अच्छा न नामावली में नाम लिख (लिखा) जाना। लगे, अरोचक। नाम चलना-नाम की याद बनी रहना। भा० श. को०-१२५ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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