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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतीय पुरालिपि-शास्त्र 202 से लिये गये हैं। स्त. III यूटिंग के Tubula Scripturac Aramaicae 1892 से है । स्त० IV-VI, तारांकित चिह्नों को छोड़कर जो काल्पनिक हैं, वर्तमान पुस्तक के फलक II से लिये गये हैं। प्रत्येक अक्षर के संबंध में निम्नलिखित टिप्पणी दी जा रही है जो मेरे इडियन स्टडीज, III, 2 पृ. 58 तथा आगे का संक्षिप्त सार है। (अ) ग्रहीत चिह्न __ सं. 1, अ, स्त० V,= अलेफ, स्त० I, II, (वेबर संदिग्ध रूप में) दायें से बायें को घुमाया गया है; अपवाद, पटना की मुहर (देखि० ऊपर 3, और फलक II, I, I) । खड़ी रेखा कोण के अंत में स्थानान्तरित है। सं. 2, ब, स्त० V, a, b, c=बेथ, स्त० I, II (वेबर) । त्रिभुजशीर्षकार सिर खोलने से पहले वैसा चिह्न बना जैसा स्त० IV में है, फिर समचतुर्भुज, स्त० V, a, और अंत में वर्ग और दीर्घायत स्त० V, b, c, बने । सं. 3, ग, स्त० V, गिमेल, स्त० I, II सं. 4, ध, स्त० V, a, b =दलेथ, स्त० I II (बेबर) । अक्षर को सीधा कर दिया और पीठ गोली कर दी (मिला० अर्द्धकोणीय रूप, फल II, 26, IX, XIX, XXIII, और त्रिभुज-रूप, फल III, 24, VII-XIII), दायें घुमायें या न घुमायें । सं. 5, ह, स्त० V,= हे (बेबर संदिग्ध रूप में), शिद्दापुर का रूप, स्त० V, a संभवतः स्त० III, a (सलमानस्सार के मीना से, ई०पू० 725 के पूर्व) हे से निकला है। इसे ही सिर के बल उलटे रख दिया गया है और दिशा दायें से बायें कर दी है। ई० पू० छठी शताब्दी का हे (स्त० III b) इससे अधिक मिलता-जुलता है, पर यह उसका आदि रूप नहीं हो सकता क्योकि यह उस काल का है जब ब्राह्नी विकसित हो चुकी थी। फिर, उस काल तक सेमेटिक अलेफ, दलेथ, चेथ, थेथ, वाव, और कॉफ घसीटकर लिखे जाने लगे थे और उनका रूप इतना बदल गया था कि उनसे भारतीय रूप नही निकल सकते हैं। सं. 6, ब, स्त० V, a, b,= वाव, स्त० II (वेबर संदिग्ध रूप में) । अक्षर सिर के बल उलट कर रख दिया गया है, और नीचे का सिरा बंद कर दिया गया है। सं. 7, ज, स्त० V,=जैन, स्त० I, II (वेबर)। दोनों डंडों के स्थानान्तरण से स्त० V, a का द्राविड़ी अक्षर बना, इसी से स्त० V, b का ज बना - 24 For Private and Personal Use Only
SR No.020122
Book TitleBharatiya Puralipi Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGeorge Buhler, Mangalnath Sinh
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1966
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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