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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शारदा लिपि ११७ वंश के सिक्कों की शारदा लिपि के रूप पूर्ण विकसित हैं ।265 ये सिक्के प्रशस्तियों से बहुत बाद के नहीं हैं। युसुफजई जिले में मिली बख्शाली की हस्तलिखित प्रति भी (फल. VI, स्त. VIII) असंभव नहीं कि इसी काल की या उससे भी पहले की हो ।266 फल. VI, स्त. IX में शारदा लिपि का जो नमूना दिया गया है वह संभवतः 16वीं-17वीं शती का है और वर्खर्ड के शकुंतला के कश्मीरी संस्करण के फलक 1 से लिया गया है ।267 इतना आधुनिक नमूना देने का कारण यह है कि शारदा लिपि के इससे प्राचीन नमूनों का कोई रिप्रोडक्शन नहीं मिला ।268 कश्मीरी पंडित सदा से यात्रा प्रेमी रहे हैं और कश्मीर से बाहर जाते रहे हैं। यही कारण है कि शारदा लिपि में लिखे हस्तलिखित ग्रंथ उत्तरी-पश्चिमी भारत में तो मिलते ही हैं, पूरब में काशी तक इनका प्रसार है । पश्चिमी भारत में मिलने वाले प्राचीन नागरी के बहुत-से हस्तलिखित ग्रंथों में हाशियों पर शारदा लिपि में लिखी टिप्पणियाँ भी मिलती हैं ।269 शारदा का ही आधुनिक घसीट रूपों वाला एक विभेद तथाकथित टक्कारी या टाकरी270 है जो जम्मू और उसके आसपास की डोगरों की लिपि है । अब तो कश्मीर में भी इसका प्रचार हो गया है । आ. शारदा लिपि की विशेषता इसकी रूखी, मोटी लकीरें हैं जिनसे अक्षर बेडौल दीखते हैं और कुषान काल की लिपि से कुछ-कुछ मिलते हैं। निम्नलिखित अक्षरों का विकास जो प्राचीनतम काल में भी मिलता है, दर्शनीय है : 265. क, क्वा. मि. इं. फल. 4, 5. 266. सातवीं ओरियंटल कांग्रेस, आर्यन सेक्शन, 133; इं. ऐ. XVII, 33, 275. 267. जि. बे. वी. आ. CVII. 268. इस काल की शारदा लिपियों में एक हस्तलिखित ग्रंथ की एक अच्छी प्रतिकृति के. ब. संस्कृत. प्राकृ. मैनु. जिल्द 2, 3, फल. 2 में है। इससे एक घटिया प्रतिकृति इंडिया आफिस के हस्तलिखित ग्रंथ सं. 3176 से और अक्षरों और संयुक्ताक्षरों की तालिका के साथ Pal. Soc., Or. Series, फल. 44 में है । 269. जि. बे. वी. आ. CXVI, 534. 270. कश्मीर रिपोर्ट (ज. बा. बां. रा. ए. सो. XII), 32; वर्णमाला के लिए देखि. ज. रा. ए. सो. 1891, 362. 117 For Private and Personal Use Only
SR No.020122
Book TitleBharatiya Puralipi Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGeorge Buhler, Mangalnath Sinh
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1966
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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