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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतके प्राचीन राजवंश यह भी विदित होता है कि इसने संडेरे ( सांडेराव ) नामक गाँवमें शत्रुओंको परास्त कर विजय प्राप्त की थी । यह गाँव मारवाड़ - गोडवाड़ के बाली परगने में है । मारवाड़ - सोजत परगनेके आडवा नामक गाँव में एक कामेश्वर महादेवका मन्दिर है । उसमें वि० सं० १९३२ आश्विनकृष्णा १५ शनिवारका एक लेख लगा है । यह अणहिल्लके पुत्र जिन्द्रपाल ( खिन्द्रपाल ) के समयका है । यद्यपि इसमें उक्त नामोंके आगे किसी भी प्रकारकी उपाधियाँ नहीं लगी हैं, तथापि सम्भव है यह इसी जिन्दुराजके समयका हो । नाडोल के वि० सं० १९९८ के रायपालके लेखमें' जिस जेन्द्रराजेश्वर महादेव मन्दिरका उल्लेख है, वह सम्भवतः इसीके समय में बनाया गया होगा । इसके तीन पुत्र थे- पृथ्वीपाल, जोजलदेव और आसराज । ९ - पृथ्वीपाल । यह जेन्द्रराजका बड़ा पुत्र और उत्तराधिकारी था । सुंधा के लेखमें इसको गुजरात ( अणहिलवाड़ा ) के राजा कर्णकी सेनाका परास्त करनेवाला लिखा है । यह कर्ण चौलुक्य भीमदेव अथमका पुत्र था । पृथ्वीपालने पृथ्वीपालेश्वर महादेवका मन्दिर भी बनवाया था। १० - जोजलदेव । यह जेन्द्रराजका पुत्र और पृथ्वीपालका छोटा भाई था, तथा उसके पीछे गद्दीपर बैठा । इसका दूसरा नाम योजक भी लिखा है । संधाके लेखमें लिखा है कि ( १ ) Ep. Ind., Vol. XI, P. 37. २९० For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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