SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 350
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतके प्राचीन राजवंश ३-बलिराज । यह शोभितका पुत्र और उत्तराधिकारी था। सूंधा पहाड़ीके लेखमें लिखा है:--"...ऽस्य तनूद्भवोथ । गांभीर्यधैर्यसदनं व( ब )लिराजदेवो यो मुञ्जराजव( ब )लभंगमचीकरत्तं ॥ ७ ॥" अर्थात् बलिराजने मुंजकी सेनाको हराया। यह मुंज मालवेका प्रसिद्ध परमार राजा ही होना चाहिये । हyडीके लेखसे पता चलता है कि जिस समय मालवेके परमार राजा मुञ्जने मेवाड़पर चढ़ाई की थी, उस समय हyडीके राठोड-वंशी राजा धवलने मेवाड़वालोंकी सहायता की थी । शायद पड़ोसी होने के कारण इसी युद्धमें बलिराज भी धवलके साथ मेवाड़की सहायतार्थ गया होगा और उपर्युक्त श्लोकका तात्पर्य भी सम्भवतः इसी युद्धसे होगा। ४-विग्रहपाल । यह लक्ष्मणका पुत्र और शोभितका छोटा भाई था । अपने भतीजे बलिराजके पीछे राज्यका स्वामी हुआ । परन्तु उपर्युक्त सूंधा पहाडीके लेखमें इसका नाम नहीं है । उसमें बलिराजके बाद उसके भतीजे महीन्दुका और उसके पीछे उसके पुत्र अश्वपाल और पौत्र अहिलका होना लिखा है । परन्तु पण्डित गौरीशंकर ओझाने नाडोलसे मिले वि० सं० १२१८ के दो ताम्रपत्रोंसे इसका नाम उद्धृत किया है। ये ताम्रपत्र सूंधा पहाड़ीके लेखसे १०१ वर्ष पूर्वके होनेसे अधिक विश्वासयोग्य हैं। ५-महेन्द्र (महीन्दु)। यह विग्रहपालका पुत्र था। उपर्युक्त सूंधाके लेखमें इसका नाम महीन्दु लिखा है और इसे बलिराजका उत्तराधिकारी माना है । (१) J. B. As. Soc., Vol. LXII. p. 311. २८६ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy