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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छोटा उदयपुर और बरियाके चौहान। छोटा उदयपुर और बरियाके चौहान । रणथंभोरपर मुसलमानोंका अधिकार होने के समय हम्मीरके एक पुत्र भी था। यह बात तारीख फरिश्तासे प्रकट होती है । शायद यह गुजरातकी ओर चला गया होगा। ___ गुजरातमेंके नानी उमरण गाँवसे वि० सं० १५२५ का एक शिलालेख मिला है। यह चौहान जयसिंहदेवके समयका है। इसमें लिखा है:___“ चौहानवंशमें पृथ्वीराज आदि बहुतसे राजा हुए और चौहान श्रीहम्मीरदेवके वंशमें क्रमशः राजा रामदेव, चांगदेव, चाचिगदेव, सोमदेव, पाल्हणसिंह, जितकर्ण, कुंपुरावल, वीरधवल, सवराज (शिवराज), राघवदेव, व्यंबकभूप, गंगराजेश्वर और राजाधिराज जयसिंहदेव हुए।" इस प्रकार उसमें १३ राजाओंके नाम दिये हैं । हम्मीरका देहान्त तारीख अलाईके अनुसार यदि वि० सं० १३५८ में मान लें तो वि० सं० १५२५ में जयसिंहदेवके समय उस घटनाको हुए १६७ वर्ष हो चुके थे। यदि इन वर्षोंको १३ राजाओंमें बाँटा जाय तो प्रत्येक राजाका राज्यकाल करीब १३ वर्षके आवेगा । सम्भव है उक्त लेखका रामदेव हम्मीरदेवका पुत्र ही हो । इसने रणथंभोरसे गुजरातकी तरफ जाकर पावागढ़के पास चाँपानेर नगर बसाया और वहाँपर अपना राज्य कायम किया । यही नगर बादमें भी इनकी राजधानी रहा। हि० स० ८८९ की ५ जिल्काद (वि० सं० १५४१= ई० स० १४८४ ) को गुजरातके बादशाह सुलतान महमूदशाह ( बेगड़ा) ने चौपानेरपर चढ़ाई की। उस समय वहाँके चौहान राजा जयसिंहने जिसको पताई रावल भी कहते थे, अपनी रानियों आदिको अग्निमें जलाकर सुलतानके साथ घोर संग्राम किया । परन्तु अन्तमें घायल हो जानेपर कैद २७९ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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