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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रणथम्भोरके चौहान। रणथम्भोरके चौहान। १-गोविन्दराज। हम्मीर-महाकाव्यमें पृथ्वीराजके पुत्रका नाम गोविन्दराज लिखा है । परन्तु प्रबन्धकोशके अन्तकी वंशावलीमें उसका नाम राजदेव मिलता है और पृथ्वीराजरासा नामक काव्यमें रेणसी दिया है । ___ हम पहले लिख चुके हैं कि यह अपने चचा हरिराज द्वारा अजमेरसे निकाला जानेपर रणथंभोरमें जा रहा था । परन्तु जब वहाँसे भी हरिराजने इसको भगाना चाहा तब कुतुबुद्दीनने इसकी मदद कर उलटा हरिराजको ही भगा दिया । तारीख फरिश्तामें इसका नाम ' कोला' लिखा है । ताजुलम आसिरसे पता चलता है कि गोविन्दराजके समय चौहानोंकी राजधानी रणथंभोर थी। २-बाल्हणदेव । यह गोविन्दराजका सम्बन्धी था या पुत्र, इस बातका पूरा पता हम्मीर-महाकाव्यसे नहीं चलता है। इसके समयका एक लेख वि० सं० १२७२ ( ई० स० १२१५ की ज्येष्ठ कृष्णा ११ का मंगलाणा (मारवाड ) गाँवसे मिला है । इससे विदित होता है कि यह सुलतान शम्सुद्दीन अल्तिमशका सामन्त था । इसके दो पुत्र थे । प्रल्हाददेव और वाग्भट । ३-प्रल्हाददेव । यह बाल्हणदेवका बड़ा पुत्र था । शिकार करते समय सिंहने इसपर आक्रमण कर इसका कंधा चबा डाला था। इसीसे इसकी मृत्यु हुई । मृत्युके समय पुत्रके बालक होनेके २६३ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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