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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भारतके प्राचीन राजवंश " पृथ्वीराज के रिश्तेदार हेमराज ( हरिराज ) ने जब पृथ्वीराजके पुत्र कोलाको अजमेर से निकाल दिया तब उसकी मददमें कुतबुद्दीन ऐबक हि० स० ५९१ ( ई० स० ११९४ - वि० सं० १२५१ ) में दिल्ली से चढ़ा | हेमराजने उसका सामना किया । परन्तु अन्तमें वह मारा गया और अजमेरपर कुतबुद्दीनने मुसलमान हाकिम नियत कर दियो । " फरिश्ताने चतरका नाम जहतराय लिखा है । हम्मीर महाकाव्य में लिखा है:-- " पृथ्वीराज के बाद हरिराज अजमेरका अधिकारी हुआ । उसने गुजरात के राजाकी भेजी हुई सुंदर वेश्याओंके फंदे में पड़कर राज्यकार्यकी तरफ ध्यान देना छोड़ दिया । इससे राज्यमें गड़बड़ मच गई । यह मौका देख पहलेवाला सुलतान दिल्लीसे अजमेर पर चढ़ आया । इसपर हरिराज अपने अन्तःपुरकी स्त्रियों सहित जल मरा । " उपर्युक्त लेखोंपर विचार करनेसे विदित होता है कि यद्यपि शहाबुद्दीनने पृथ्वीराज के पीछे उसके बालक पुत्रको अजमेरका अधिकारी नियत किया था, तथापि उसके चले जानेपर उसके चचा हरिराजने उससे राज्य छीन लिया । इस पर वह रणथंभोर में जा रहा, परन्तु जब हरिराजने उसे वहाँ से भी निकालने के इरादे से रणथंभोर पर चढ़ाई की तब शाही फौजने आकर उसकी सहायता की और हरिराजको वापस लौटना पड़ा । वि० सं० १२५० या १२५१ के ज्येष्ठ या, आषाढ मासके आसपास हरिराजका देहान्त हुआ । उसी समय से अजमेर चौहानोंके अधिकारसे निकलकर मुसलमानों के अधिकार में चला गया । ( १ ) Brigg's Farishta I. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६२ For Private and Personal Use Only ·
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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