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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतके प्राचीन राजवंश ( पृथ्वीराज ) ने उस किले पर चढ़ाई की। इस पर शहाबुद्दीनको गजनीसे वापिस आना पड़ा । वि० सं० १२४७ ( ई० स० ११९१ ) में तिरौरी ( कर्नाल जिला ) के पास लड़ाई हुई। इस युद्धमें हिन्दुस्तानके सब राजा रायकोला ( पृथ्वीराज ) की तरफ थे। सुलतानने हाथी पर बैठे हुए दिल्ली के राजा गोविंदराय पर हमला किया और अपने भालेसे उसके दो दाँत तोड़ डाले । इसी समय उक्त राजाने वारकर सुलतानके हाथको जखमी कर दिया । इस घावकी पीड़ासे सुलतानका घोड़े पर उहरना मुशकिल हो गया । इस पर मुसलमानी सेना भाग खड़ी हुई । सुलतान भी घोड़ेसे गिरने ही वाला था कि इतनेमें एक बहादुर खिलजी सिपाही लपक कर बादशाहके घोड़े पर चढ़ बैठा और घोड़ेको भगाकर बादशाहको रणक्षेत्रसे निकाल ले गया । यह हालत देख राजपूतोंने मुसलमानोंकी फौजका पीछा किया और भटिंडा नामक नगरको जा घेरा । तेरह महीनेके घेरेके बाद उसपर राजपूतोंका कब्जा हुआ ।" तारीख़ फरिरश्तामें लिखा है: " सुलतान मुहम्मद गोरी ( शहाबुद्दीन गोरी ) ने हिजरी सन् ५८७ ( वि० सं० १२४७-ई० स० ११९१ ) में फिर हिन्दुस्तान पर चढ़ाई की और अजमेरकी तरफ जाते हुए भटिंडे पर कब्जा कर लिया । तथा उसकी हिफाजतके लिये एक हजारसे अधिक सवार और करीब उतने ही पैदल सिपाही देकर मलिक जियाउद्दीन तुजुकीको वहाँ पर नियत कर दिया । वापिस लौटते समय सुना कि अजमेरका राजा पिथोराय ( पृथ्वीराज ) और उसका भाई दिल्लीश्वर चावंडराय ( गोविंदराय ) हिन्दुस्तानके दूसरे राजाओं के साथ दो लाख सवार और तीन हजार हाथी लेकर भटिंडाकी तरफ आ रहा है। यह - सुन वह स्वयं भटिंडेसे आगे बढ़ सरस्वतीके तट परके नराइन गाँवके पास (?) History of Indid, by Elliot, Vol II, P. 295–96. For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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