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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतके प्राचीन राजवंश - उपर्युक्त बातोंपर विचार करनेसे पृथ्वीराजरासे के लेखपर विश्वास नहीं होता । उसमें यह भी लिखा है कि सोमेश्वर गुजरातके राज! भोलाभीमके हाथसे मारा गया था । परन्तु यह बात भी ठीक प्रतीत नहीं होती; क्योंकि एक तो सोमेश्वरका देहान्त वि० सं० १२३६ (ई० स० ११७९) में हुआ था । उस समय भोलाभीम बालक ही था। दूसरा यदि ऐसा हुआ होता तो गुजरातके कवि और लेखक अपने ग्रन्थोंमें इस बातका उल्लेख बड़े गौरवके साथ करते, जैसा कि उन्होंने अर्णोराजपरकी कुमारपालकी विजयका किया है। सोमेश्वरके ताँबेके सिक्के मिले हैं । इनपर एक तरफ सवारकी सूरत बनी होती है और 'श्रीसोमेश्वरदेव' लेख लिखा रहता है, तथ दूसरी तरफ बैलकी तसबीर और 'आसावरी श्रीसामंतदेव' लेख खद होता है । ‘आसावरी' शब्द 'आशापूरीय' का बिगड़ा हुआ रूप है । इसक अर्थ आशापूरादेवीसे सम्बन्ध रखनेवाला है । यह आशापूरा देवी चौहानों. की कुलदेवी थी। ___ इसके समयके ४ लेख मिले हैं । पहला वि० सं० १२२६ ( ई० सः ११६९) फाल्गुन कृष्णा ३ का। यह बीजोल्या गाँवके पास की चट्टान पर खुदा है और इसका ऊपर कई जगह वर्णन आ चुका है। दूसर वि० सं० १२२८ (६० स० ११७१) ज्येष्ठ शुक्ला १० का। तीसरा वि० सं० १२२९ (ई० स० ११७२) श्रावणशुक्ला १३ का। ये दोनों घोड़. गाँवके पूर्वोक्त रूठीरानीके मन्दिरके स्तम्भोंपर खुदे हैं । चौथा वि० सं० १२३४ (ई० स० ११७७ ) भाद्रपदशुक्ला ४ का है । यह आवलद गाँवके बाहरके कुण्डपर पड़े हुए स्तम्भपर खुदा है । यह गाँव जहाज पुरसे ६ कोस पर है। For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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