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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौहान वंश | हम्मीर - महाकाव्य में लिखा है कि, विग्रहराजने चढ़ाई कर मूलराजको मार डाला । परन्तु यह बात सत्य प्रतीत नहीं होती । पृथ्वीराजरासे में जो वीसलदेवकी गुजरातके चालुकरायपरकी चढ़ाईका वर्णन है वह भी इसी विग्रहराज की इस चढाईसे ही तात्पर्य रखती है । इसके समयका वि० सं० १०३० ( ई० स० ९७३ ) का एक शिलालेख हर्षनाथके मन्दिरसे मिला है । इसका वर्णन हम ऊपर कई जगह कर चुके हैं। इससे भी प्रकट होता है कि यह बड़ा प्रतापी राजा था । १६ - दुर्लभराज (द्वितीय) | यह सिंहराजका पुत्र और अपने बड़े भाई विग्रहराज द्वितीयका उत्तराधिकारी था । १७ - गोविन्दराज | यह शायद सिंहराजका पुत्र और दुर्लभराजका छोटा भाई था और उसके पीछे राज्यका स्वामी हुआ । इसको गंदुराज भी कहते थे । १८ - वाक्पतिराज ( द्वितीय ) । यह गोविन्दराजका पुत्र और उत्तराधिकारी था । १९ - वीर्यम | यह वाक्पतिराजका पुत्र था और उसके पीछे गद्दीपर बैठा । इसने मालवेके प्रसिद्ध परमार राजा भोज पर चढ़ाई की थी। परंतु उसमें यह मारा गय 1 शायद इसीके समय सुलतान महमूद गजनीने गढ़ बीटली ( अजमेर) पर हमला किया था और जखमी होकर यहाँसे उसे ई० स० १०२४ में अहिलवाड़े को लौटना पड़ा था । (१) पृथ्वीराज - विजय, सर्ग ५ ॥ २३३ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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