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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेन वंश | अपने पिता की मृत्युके समय राय लखमनिया ( लक्ष्मणसेन ) माता के में था । अतएव उस समय राजमुकुट उसकी माँके पेट पर रक्खा गया। उसके जन्म समय ज्योतिषियोंने कहा कि यदि इस समय बालकका जन्म हुआ तो वह राज्य न कर सकेगा । परन्तु यदि दो घण्टे बाद जन्म होगा तो वह ८० वर्ष राज्य करेगा । यह सुनकर उसकी माँने आज्ञा दी कि जब तक वह शुभ समय न आवे तब तक मुझे सिर नीचे और पैर ऊपर करके लटका दो । इस आज्ञाका पालन किया गया और जब वह समय आया तब उसे दासियोंने फिर ठीक तौर पर सुला दिया, जिससे उसी समय लखमनियाका जन्म हुआ । परन्तु इस कारण से उत्पन्न हुई प्रसव पीड़ा से उसकी माताकी मृत्यु हो गई । जन्मते ही लखमनिया राज्यसिंहासन पर बिठला दिया गया । उसने ८० वर्ष राज्य किया । हम बल्लालसेन के वृत्तान्तमें लिख चुके हैं कि जिस समय बल्लालसेन मिथिला - विजयको गया था उसी समय पीछेसे उसके मरनेकी झूठी खबर फैल गई थी । उसीके आधार पर तबकाते नासिरीके कर्त्ताने लक्ष्मणसेनके जन्मके पहले ही उसके पिताका मरना लिख दिया होगा । परन्तु वास्तलक्ष्मण-सेन जब ५९ वर्षका हुआ तब उसके पिताका देहान्त होना -माया जाता है । आगे चल कर उक्त तवारीखमें यह भी लिखा है राय लखमनियाकी राजधानी नदिया थी । वह बड़ा राजा था । उसने ८० वर्ष तक राज्य किया । हिन्दुस्तान के सब राजा उसके वंशको श्रेष्ठ समझते थे और वह उनमें खलीफा के समान माना जाता था । जिस समय मुहम्मद बख्तियार खिलजी द्वारा बिहार (मगधके पालवंशी राज्य ) के विजय होने की खबर लक्ष्मणसेनके राज्यमें फैली उस समय राज्यके बहुतसे ज्योतिषियों, विद्वानों और मन्त्रियोंने राजासे २१३ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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