SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मालवेके परमार। पृथ्वीराजचरितमें लिखा है कि साँभरके चौहान राजा दुर्लभ (तीसरे ) से घोड़े प्राप्त करके मालवेके राजा उदयादित्यने गुजरातके राजा कर्णको जीता । इससे अनुमान होता है कि भोजका बदला लेनेहीके लिए उदयादित्यने यह चढ़ाई की होगी । गुजरातके इतिहास-लेखकोंने इस चढ़ाईका वर्णन नहीं किया, परन्तु इसकी सत्यतामें कुछ भी सन्देह नहीं। हम्मीर-महाकाव्यमें लिखा है कि शाकम्भरी ( साँभर ) के राजा दुस्सल (दुर्लभ ) ने लड़ाई में कर्णको मारा । इससे अनुमान होता है कि यद्यपि भोजने चौहान दुर्लभके पिता वीर्यरामको मारा था; तथापि उदयादित्यने गुजरातवालोंसे बदला लेनेके लिए चौहानोंसे मेल कर लिया होगा और उन दोनोंने मिलकर गुजरात पर चढ़ाई की होगी। विक्रमाङ्कदेवचरितमें लिखा है कि विक्रमादित्यने जिस समय कि उसका पिता सोमेश्वर राज्य करता था, मालवेके राजाकी सहायता करके उसे धाराकी गद्दीपर बिठाया । इससे विदित होता है कि उस समय इन दोनों में आपसकी शत्रुता दूर हो गई थी। उदयादित्य विद्याका बड़ा अनुरागी था । उसने अपने पुत्रोंको अच्छा विद्वान बनाया । अनुमान है कि उसके दूसरे पुत्र नरवर्मदेवने एकसे अधिक प्रशस्तियाँ उत्कीर्ण कराई। उदयादित्यका भोजके साथ क्या सम्बन्ध था, इसका पता नहीं लगता । इस राजाके दो पुत्र थे, लक्ष्मीदेव और नरवर्मदेव । वे ही एकके बाद एक इसके उत्तराधिकारी हुए । इसके एक कन्या भी थी, जिसका नाम श्यामलादेवी था । वह मेवाडके गुहिल राजा विजयसिंहसे ब्याही गई । श्यामलादेवीसे आल्हणदेवी नामकी कन्या उत्पन्न हुई, जिसका विवाह चेदीके हैहयवंशी राजा गयकर्णसे हुआ। (१) पृथ्वीराजचरित, श्लो० ७२ । १३१ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy