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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आबूके परमारोंकी वंशावली। नाम परस्परका सम्बन्ध ज्ञात समय समकालीन राजा और उनके ज्ञातसमय - धूमराज मूल पुरुष सिन्धुराज धूमराजके वंशमें उत्पलराज नं. १ का पुत्र ३ भारण्पराज नं. २ का पुत्र ४ | कृष्णाराज पहला नं.३ का पुत्र सोलकी मूलराज १०३० से १०५१%राष्ट्रकूट धवल वि० सं० १०५३ धरणीवराह नं.४ का पुत्र महिपाल (देवराज ) ० ५ धन्धुक नं. ६ का पुत्र वि० सं० १०५९ पूर्णपाल विग्रहराज, चौलुक्य भीमदेव वि०सं०१०७८से ११२० परमार भोज प्रथम वि०सं०१०७८,१०८७,१०९९ वि० सं० १०९९ और ११०२ के दो लेख वि.सं. १११७- चाहमान बालप्रसाद ११२३ का भाई नं. ९ का वंशज कृष्णराज दूसरा | ध्रुवभट रामदेव विक्रमसिंह यशोधवल नं. १० का वंशज नं. ११ का चौलुक्य कुमारपाल चौलुक्य कुमारपाल; मालवेका राजा बल्लाल | नं. ११ का पुत्र वि. सं. १२०२ धारावर्ष . चौलक्य भीमदेव कुतुबुद्दीन ऐबक, सामन्तसिंह गोहिल । सोमसिंह १६ कृष्णराज तीसरा नि- ११२०, १९३५, १२४६ १२६५, १२७६, नं. १४ का पुत्र वि० सं० १२८७ के दो लेख, १२९. नं० १५ का पुत्र xxx वि० सं० १३४४ १५ | प्रतापसिंह जेत्रकर्ण (जैत्रसिंह-गोहिल ) (पृष्ठ ८३) For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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