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भारत-भैषज्य-रत्लाफरः
[ मेदरोग
८१७२ सर्वतोभद्ररसः प्लीहा, यकृत्, शोथ,
मिश्र-प्रकरणम् ज्वर, पाण्ड, प्रमेह,
। ७७१५ शाल्मली पुष्पयोगः प्लीहावृद्धि नाशक जलोदर
सरल योग ८७४२ क्षारगुटिका यकृत्वृद्धि ८०५६ क्षार पिप्पली प्लीहा, त्रिदोषज, गुल्म, ८७५६ क्षारपिप्ली यकृत् , प्लीहा, गुल्मादि
यकृत् , वातष्ठीला ८७५८ ॥ ८७५८ क्षारपिप्पली प्लीहा, त्रिदोषज, गुल्म, | ८७५९
" " " यकृत, वातष्ठीला
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(४४) रक्तपित्ताधिकारः कराय-प्रकरणम्
७३७३ शतावर्यादिघृ० रक्तपित्त, क्षय, श्वास ७१९३ शतावर्यादिकषायः रक्तपित्त ७३९० श्यामाघृतम् नासाप्रवृत्त रक्त ७२०० , योगः मूत्रमार्गगत पीडायुक ७९४६ सप्तप्रस्थघृतम् रक्तपित्त, उरःक्षत एवं
हृद्रोग नाशक, बलवीर्य ८४४५ होवेरादिक्वाथः उग्र रक्तपित्त, तृषा, दाह
अग्नि वर्द्धक और ज्वर को शीघ्र नष्ट करता है।
तैल-प्रकरणम् ८४४६ , , प्रबल रक्तपित्त, तृषा, | ८५५३ होवेराध तैलम् रक्तपित, उरःक्षत, कास दाह, उवर ।
रस-प्रकरणम् पूर्ण -प्रकरणम्
७५६६ शतमूल्यादिलौ० रक्तपित्त, तृणा, दाह, ८४७६ हरीतक्यादियोगः दुर्जयरक्तपित्त
छर्दि, ज्वर
७५७९ शर्कराय लौहम् रक्तपित्त, अम्लपित्त घृत-प्रकरणम्
८१५२ समशर्कर , तीव्र रक्तपित्त, क्षतक्षय, ८ ७३७१ शतावरीघृतम् रक्तपित्त, ज्वर, कास -
अम्लपित्त ७३७२ , , , अंगदाह, शिरोदाह, | ८२३६ सुधानिधि रसः रकपित्त
स्वर, योनिदाह ८२४० " " "
रतलाव
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