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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत भैषज्य रत्नाकरके लिए वैद्य सम्मेलनके सभापति, आयुर्वैदिक कालेजों के प्रिन्सिपल तथा वैद्यक पत्रों और विद्वानों की आई हुई सम्मतियों में से कुछ निखिल भारतवर्षीय वैद्य सम्मेलन इलाहाबाद और मैसूर के सभापति, अष्टांग आयुर्वेद विद्यालय कलकत्ता ___ के भूतपूर्व प्रिन्सिपल और भारतके अग्रगण्य वैद्यराज महापहोपाध्याय कविराज गणनाथ सेन सरस्वती M. A., L. M. S. "भारत भैषज्य--रत्नाकर, एक अमूल्य संग्रह है। इसका रचनाशैली बड़ी ही उत्तम है। मैं हरेक वैद्यसे इसे खरीदनेके लिए सुफारिश करता हूं । यह ग्रन्थ तैयार करने में बहुत परिश्रम किया गया है। निखिल भारतवर्षीय पञ्चदश वैद्य सम्मेलन हरिद्वारके अध्यक्ष; हिन्दु युनिवर्सिटी बनारसके आयुर्वेदिक कालेजके भूतपूर्व आचार्य, भारतके प्रख्यात वैद्यराज श्रीयुक्त पं. यादवजी त्रीकमजी आचार्य, बम्बई से लिखते हैं भारत भैषज्य रत्नाकरमें प्रयोगोंका अकारादि क्रमसे उत्तमरूपेण संग्रह किया गया है। संस्कृत पाठके साथ सरल हिन्दी भाषामें टीका भी दी गई है । इस एक ही ग्रन्थको पास रखनेसे शास्त्रीय प्रयोगोंको देखनेके लिए अन्य ग्रन्थकी आवश्यकता नहीं रहती। भारतके स्वनामधन्य अद्वितीय चिकित्सक छठे वैद्य सम्मेलन के अधिपति श्रीयुक्त पं. लक्ष्मीरामजी स्वामी आचार्य आयुर्वेद मारतण्ड, जयपुर स्टेट-- नवीन शैलीसे सुन्दररूपेण संगृहीत, जिसे पहिले कभी न देखा हो ऐसा ग्रन्थरत्न "भारत भैषज्य रत्नाकर' का सूक्ष्मावलोकन करनेसे प्रतीत होता है कि चिकित्सकों के लिए उपयोगी इस ग्रन्थको संग्रहीत करके कर्त्ताने सचमुच वैद्य--जगतको उपकृत किया है । भिन्न भिन्न ग्रन्थोंमें पाठभेद होनेके कारण प्रयोगों में जो विभेद देखा जाता था वह इसके द्वारा दूर हो गया है। मेरी दृष्टिमें इस ग्रन्थ के संग्रहकार अत्यन्त प्रशंसा के पात्र हैं। अखिल भारतबर्षीय वैद्य सम्मेलन फतेहपुरके अध्यक्ष, महाराष्ट्रके अग्रगण्य वैद्यराज श्रीयुक्त कृष्णशास्त्री देवधर प्राणाचार्य, नासिकसे लिखते हैं" भारत भैषज्य रत्नाकर' अपूर्व ग्रन्थ है और समस्त वैद्यों के लिये उपयोगी है यह एक ही ग्रन्थ पास रखनेसे चिकित्साकार्य में अनेकों ग्रन्थों का काम देता है । समस्त वैद्यों और वैध-विद्यार्थीयों के लिये यह एक पास रखने योग्य पुस्तक है। निखिल भारतवर्षीय वैद्य सम्मेलन करांची के सभापति पञ्जाब प्रान्तीय वैद्य सम्मेलन के प्रधान और पटियाला स्टेट के राजवैद्य श्रीमान् पं. रामप्रसादजी वैद्यरत्न, पटियाला-- ___ पुस्तकका संग्रहक्रम बहुत अच्छा है । विद्वानो के अतिरिक्त सुन्दर भाषा टीका होने के कारण सर्व साधारण के लिए हितकारी हैं। चिकित्सकों के लिए यह पुस्तक विशेष रूपसे संग्रह करने योग्य है। For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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