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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org रक्त पित्त] ८७७ चतुर्थों भागः (४४) रक्तपित्ताधिकारः कपाय-प्रकरणम् अवलेह-प्रकरणम् ४९९० मदयन्तिकामूल रक्तपित्त नाशक सरल ५२०२ मुस्तायो लेहः हर प्रकारका रक्तपित्त कपायः योग ६६९७ वङ्गावलेहः मुखसे होनेवाला रक्त४९९६ मधूकादि कल्कः रक्तपित्त स्राव ५०३१ मातुलुङ्गादियोगः नासागत रक्तपित्त (स- ६७०५ वासाखण्ड कुष्माण्ड रक्तपित्त, कास, क्षय रल योग) ६७०७ वासावलेहः रक्तपित्त, क्षतक्षय, ५०४१ मुद्गादि शीत- प्रबल रक्तपित्त राजयक्ष्मा कषायः ५०७० मुस्तादि क्वाथः अधोगत रक्तपित्त घृत-प्रकरणम्. (वामक) ५२३९ महादूर्वाद्यघृतम् नकसीर, रक्तवमन, ५०९० मेघनादादि क्वाथः रक्तपित्त अर्शका रक्त तथा अन्य ५७३८ यष्टयादि क्षीरम् , ,, हरप्रकारका रक्तस्राव ६५०४ वासकादि योगः रक्तपित्तको शीघ्र नष्ट। ५२४८ महा वासाद्य ,, भयंकर रक्तपित्त, खांसी, स्वरभेद ६५०७ वासादि कषायः रक्तपित्त, कास, श्वास | ५२६० माहेश्वर ,, रक्तपित्त ६५११ , , प्रबल रक्तपित्त ६७४० वासाद्य , ,क्षय, कास, प्रतिश्याय ६५१२ , , रक्तपित्त, क्षय, कास नस्य-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम् ६८८६ वासादि नस्यम् नासा प्रवृत्त त्रिदोषज ५०९७ मधुकादि योगः रक्तपित्त रक्तपित्त ६२३७ लाक्षादि , क्षतज रक्तस्राव ६३३८ विष्णुकान्तायोगः उर्ध्व गत रक्तपित रस-प्रकरणम् गुटिका-प्रकरणम् ५६२८ मृगज रसः रक्तपित्त ५१६१ मधुकायोगुटिका रक्तपित्त, छदि, मूकी, ६०२७ रक्तपित्तकुलक- रक्तपित्त में अत्यन्त गुज्वर, तृषा ण्डन रसः णकारी | ६०२८ रक्तपित्तहररसः रक्तपित्त For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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