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ज्वर]
चतुर्थों भागः
७०५३ विनोदविद्याधर- नवज्वर, शूल, अजीर्ण | ७१०५ वृहज्ज्वरचूड़ा- समस्त ज्वर कोष्ठ बद्धता
मणि रसः ।। ७०५६ विमलरसायनम् ज्वर, शोथ, अरुचि, ७१०६ वृहज्ज्वरान्तको- शुक्र धातुगत जीर्ण
___ शूल, वायु, पित्त । रसः ज्वर, बल्य ७०६१ विश्वतापहरण नवीन ज्वर ७१०८ वृहत्कस्तूरीभैरव विशेषतः लौट लौटकर
रसः
आने वाले ज्वर ७०६२ विश्वमूत्ति रसः सन्निपात ७११८ वेतालरसः सन्निपातमें अत्युपयोगी ७०७३ विषमज्वरान्तक विषम ज्वर, प्लीहा,
मिश्र-प्रकरणम् अग्निमांद्य
५६९२ मधुसर्पिरादि विषम ज्वर, क्षतज ७०७४ , , ,, ज्वर, प्लीहा, यकृत,
योगः कास, हृद्रोग __ (पुटपक्क) शोथ, आम, अरुचि,
५७१२ मूलिकाबन्धनम् शिर पर बांधनेसे ज्वर कासादि
उतरता है ७०७५ विषमज्वरान्तक विशेषतः विषम ज्वर
५७१७ मेघनादमूल , " लौहम् (बृह.)
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| ५८४९ यवादि योगः ज्वरकी दाह । ७०७६ विषमज्वरारिरसः विषम ज्वर
६४५० लाज मण्डः ज्वर, पिपासा, कफ, ७०९१ वीरभद्रभैरव ,, ज्वर, शूल
पित्त ७०९२ वीरभद्राख्यो ,, सन्निपात
७१३२ वैद्यनाथ वटी नवीन ज्वर ७०९४ वीरविक्रमो , विषमज्वर, सन्निपात ७१५८ बालुका स्वेदः अङ्गमर्द, शिरपीड़ा,शूल ७१०३ वृहच्चिन्तामणि समस्त ज्वर, कास, ७१६५ विदार्यादियोगः चातुर्थिक ज्वर, कास, रसः प्लीहा, शोथ
वायु, कफ - *(२५) ज्वरातिसाराधिकारः
-
काय-प्रकरणम्
६४८५ वत्सादन्यादि ज्वरातिसारको अत्यन्त ६४७९ वत्सकादिक्काथः ज्वरातिसार, विशेषतः
शीघ्र नष्ट करता है। दाह
। ६५५४ वृहत्पञ्चमूल्यादि रक्त सहित या रक्त६४८१
क्वाथः " "
रहित अनेक योगोंसे "
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