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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४८ भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [गण्डमाला, गलगण्ड तैलम् तैल-प्रकरणम् लेप-प्रकरणम् ५२७० मञ्जिष्ठाद्य तैलम् गण्डमाला | ५४१३ मुण्डीमूल लेपः गण्डमाला ५२८९ महाअजमोदाचं पक्ष अपक्व नूतन | ५४१८ मूलक बीजादि पुरातन और दुर्गन्धित लेपः गलगण्ड, गण्डमाला स्राव वाली कष्ट साध्य ६८४७ वत्सनाभ लेपः गण्मालाकी गांठोंको अपची नष्ट करता है। ५३०९ मागध्याचं तैलम् गण्डमाला ६८५७ विकतादि ,, कफज गलगण्ड ६७७१ वचादि तैलम अपचीको समूल नष्ट करता है रस-प्रकरणम् ६७७८ वज्रकं , गण्डमाला और अर्शमें ५४७८ मण्डूर योगः गलगण्ड अत्युपयोगी ६८२९ व्योषादि,, कष्ट साध्य अपची मिश्र-प्रकरणम् आसवारिष्ट-प्रकरणम् | ७१५१ वनकार्पासादि अपची ६८३६ विडङ्गासवः गण्डमाला आदि योगः (२०) गलरोगाधिकारः चूर्ण-प्रकरणम् अवलेह-प्रकरणम् ५२०४ मृगनाभ्यादि लेहः वाणीका स्तम्भ, स्वर ५१३८ मुण्ड्यादिचूर्णम् स्वरको मधुर करता है भंग ६६२१ विडंगाचं , कफज गलरोग, कास, हृद्रोग घृत-प्रकरणम् ६६५२ व्योषादि , स्वर भंग ५७८७ यवक्षारादि घृतम् वातज स्वर भंग ६७६५ व्याघ्री , स्वरभङ्ग, कास ६७७० व्योषाचं नावनं ,, स्वरभङ्ग गुटिका-प्रकरणम् रस-प्रकरणम् ५१६५ मरिचाद्या गुटिका कण्ठ रोग | ५४९७ मदनाङ्कुशटङ्कण स्वरभङ्ग ५७७३ यवाग्रजाद्या , समस्त गलरोग सवायजामा समस्त गलरोग रसः SARG For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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