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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अश्मरि ] ६४९७ वरुणादिक्वाथः घोरतर, पत्थर के समान कठिन और पीड़ादायक अश्मरि; अग्निमांद्य ६५६० वृहद्वरुणादि अश्मरी, बस्ति और मूत्रनलीकी पीड़ा क्वाथः चूर्ण-प्रकरणम् ५९०२ रजन्यादि चूर्णम् पुरानी और प्रवृद्ध शर्करा ६५९८ वरुणादि ६७०० वरुणक गुडः ५८७३ ५८८० ५८८१ ५८८२ ૧૦૫ " "" 39 GO " 39 . अवलेह - प्रकरणम् कषाय-प्रकरणम् ५०१४ महौषधादिक्वाथः सशोथ आमवात, कटि पीड़ा ५८६७ रास्नादि क्वाथः आमवात, उरुस्तम्भ, जठररुजा अनेक प्रकारकी सन्धि पीड़ा, आमवात. आमवात "" 12 "" www.kobatirth.org 17 चतुर्थी भागः कठिन अमरीको भी ष्ट करता है । अश्मरीको शीघ्र निकाल देता है । "" सर्वांगगत तथा सप्तधातुगत आमवात ६७३५ वरुणाद्यं (९) आमवाताधिकारः घृत-प्रकरणम् ५७९० यवादि घृतम् अश्मरी ६७३३ वरुणादि शर्करा, अश्मरी, " " "" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तैल-प्रकरणम् ६७८२ वरुणाद्यं तैलम् शर्करा, अश्मरी, मूत्र कृच्छ्र; शूल ६८१६ वीरतर्वादि ५८८६ रास्नादि काथ: For Private And Personal Use Only ५८९० रास्ना पञ्चकम ८३३ रस-प्रकरणम् ५४६८ मञ्जिष्ठादिचूर्णम् अश्मरीको अवश्य निकाल देता है । ५८९२ रास्ता सप्तकम् त्रकृच्छ्र कफज अश्मरी "" मू ५८८८ रास्नादिदशमूलम् आमवात ५८८९ रास्नाद्वादशक - जानुस्थित आमवात, कषायः कटि ऊरु और त्रिक पीड़ा सशल आमवात, पार्श्व A पीड़ा आमवात, सन्ध्यस्थि मज्जागत वायु आमवात, जंघा उरु पृष्ठ पार्श्व और त्रिशल
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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