SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 834
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्बुद] चतुर्थो भागः - - - - (६) अर्बुदाधिकारः प-प्रकरणम् अर्बुदको नष्ट करने ५४१७ मूलकक्षारादिलेपः अर्बुद वाला सिद्ध योग ५४१८ , बीजादि , अर्बुद, गण्डमाला रस-प्रकरणम् ६८४५ वटादि , सात दिनमें प्रवृद्ध ६१६१ रौद्र रसः अर्बुद (७) अशोधिकारः कपाय-प्रकरणम | ५९२६ रसाअनादि वटी रक्तारी ६५२३ विडङ्गादिकाथः अर्श, शोथ, अतिसार ६२४५ लघुशरण अर्श (अत्यन्त दीपन __ मोदकः पाचन) चूर्ण-प्रकरणम् ६२५४ लागल्यादि , कफज अर्श ५१०८ मरिचादि चूणम् वातारी ६६७८ वृद्ध दारु , ६ प्रकारका अर्थ ५१२२ महानिम्बबीज रक्तार ६६८३ व्योषादि गुटिका अर्श, त्वग्दोष योगः ५१५३ मुशल्यादि योगः भी गुग्गुलु-प्रकरणम् ५७५१ यवक्षारादिचूर्णम् अर्शगत अग्निमांप ५७७७ योगराजगुग्गुलुः अर्श, अरुचि, नाभि ५७७७ योगराजलः । ६२३२ लवणोत्तमादि अर्श शूल, अग्निमांद्य चूर्णम् ६२३८ लाक्षादि योगः रक्तार्श अवलेह-प्रकरणम् ६६३८ विजय चूणम् अर्श, शोथ; कास, ज्वर ५१८९ मधुपक्व हरीतकी त्रिदोषज भी ६६५६ व्योषादि चूर्णम् अर्श, शोथ, मलावरोध, अग्निमांथ घृत-प्रकरणम् ५२१४ मधुकादि घृतम् अर्श, अतिसार, संग्रगुटिका-प्रकरणम् हणी, ज्वर, अरुचि, ५१६३ मरिचादि मोदकः अर्श गुदभ्रंश, अफारा ५१६४ , वटी रकार्य ६२६७ लघु चव्यादि अर्शनाशक, ग्रहणी ५१६६ मरिचाया गुटिका अर्थ घृतम् दीपक For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy