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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ૨૪ ( प्रत्येक ओषधि १ तोला । पाकार्थ जल ४८ तोले । शेष काथ १२ तोले । पीपलका चूर्ण १ माशा | ) भारत - भैषज्य रत्नाकरः (५७३२) यष्ट्यादिक्वाथः (२) ( यो. र. ; व. से. । नेत्र ) ष्ट गुडूचीं त्रिफलां सदावमक्ष्यामये सर्वभवे पिवेद्वा । आश्चोतनं सान्द्ररसेन दायः शस्तं सदा क्षौद्रयुतं नराणाम् ॥ मुलैठी, गिलोय, हर्र, बहेड़ा, आमला और दारूहल्दी समान भाग ले कर काथ बनावें । इसे पीने से सर्व दोषज नेत्र रोग नष्ट होते हैं। दारूहल्दी के स्वरस या काथको गाढ़ा करके उसमें शहद मिलाकर आंख में डालना भी हित कारी है। ( प्रत्येक ओषधि १ तोला, पाकार्थ जल ४८ तोले, शेष काथ १२ तोले । ) (५७३३) यष्ट्यादिक्वाथः (३) (ग. नि. । वातपित्त ज्वर . ) मधुयष्टिर्निशायुग्मं पटोलं व्याधिघातकः । मुस्तनिम्बामृताक्वाथ वातपित्तज्वरापहः ॥ मुलैठी, हल्दी, दारूहल्दी, पटोल, अमलतासका गूदा, नागरमोथा, नीमकी छाल और गिलोय समान भाग लेकर काथ बनावें । यह का वातपित्त - ज्वरको नष्ट करता है । ( प्रत्येक ओषधि ९ माशे; पाकार्थ जल ४८ तो शेष काथ १२ तोले । ) [यकारादि (५७३४) यष्ट्यादिक्वाथः (४) ( वृ. नि. र. । त्रिदोषातिसार. ) यष्टीमधु सितालोधं मधूकं नीलमुत्पलम् । अजाक्षीरेण क्वथितं रक्तातीसारशान्तये ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुलैठी, लोध, मिसरी, महुवे के फूल, और नीलकमल समान भाग ले कर बकरीके दूधमें कावें । इसके सेवनसे रक्तातिसार नष्ट होता है । ( प्रत्येक ओषधि आधा तोला; बकरीका दूध २० तोले; जल १ सेर; सबको एकत्र मिलाकर पकावें और दूध मात्र शेष रहने पर छान लें। ) (५७३५) यष्टादिक्वाथः (५) ( वृ. नि. र. । विषमज्वर . ) यष्टी दुरालभावासा त्रिफलावालकामृता । मुस्तक्वाथः सितायुक्तो विषमज्वरनाशनः ॥ मुलैठी, धमासा, बासा, हर्र, बहेड़ा, आमला सुगन्धवाला, गिलोय और नागरमोथा समान भाग लेकर काथ बनावें । इसमें मिसरी मिलाकर पीनेसे विषम ज्वर नष्ट होता है । ( प्रत्येक ओषधि आधा तोला पाकार्थ जल ३६ तोले । शेष काथ ९ तोले । ) (५७३६) यष्ट्यादिक्वाथः (६) ( वृ. नि. २. | सन्निपात ज्वर . ) यष्टी पटोलकटुकाघननिम्बसुराधावन्यः । अपहरन्ति मोहपित्तं ज्वरमुग्रं सन्निपातोत्थम् ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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