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________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २८२ भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [यकारादि इसमें त्रिगन्ध ( दालचीनी, इलायची, तेज- (जौ इत्यादि प्रत्येक वस्तु २-२ तोला। पात ) का चूर्ण और शहद मिलाकर पिलानेसे । पानी ४८ तोले शेष १२ तोले ।) अम्लपित्त जनित वमन नष्ट होती है। (५७२५) यवादिक्वाथः (५) ( यवादि प्रत्येक वस्तु २-२ तोले । पानी | (वृ. नि. र. । पित्तकफवर.)) ४८ तोले । शेष १२ तोले । शहद २ तोले । दालचीनी आदि प्रत्येक वस्तुका चूर्ण १ माशा.) । | यवः पर्पटकं धान्यं पटोलारिष्टसाधितम् । पिबेत्सशर्करक्षौद्रं पित्तश्लेष्मज्वरापहम् ।। (५७२३) यवादिक्वाथः (३) ____ जौ, पित्तपापड़ा, धनिया, पटोल और ( यो. र. । मूत्रकृच्छू. ; वृ. नि. र.) नीमकी छाल, समान भाग ले कर काथ बनावें। यवोरुबूकस्तृणपञ्चमूली इसमें खांड और शहद मिलाकर पीनेसे पित्त पाषाणभेदैः सशतावरीभिः । कफज ज्वर नष्ट होता है। कृच्छेषु गुल्मेष्वभयाविमित्रैः (जौ आदि प्रत्येक वस्तु १ तोला । पानी कृतः कषायो गुडसंप्रयुक्तः ॥ | ४० तोले । शेष १० तोले । ) जौ, अरण्डमूल, तृणपश्चमूल (कुशा, (५७२६) यवादिशीतकषायः कास, ईख, शरकंडा और दाभकी जड़) पाषाण भेद, शतावर और हर्र के क्वाथमें गुड़ मिला कर ( ग. नि. । ज्वर.) पीनेसे मूत्रकृच्छ और गुल्म नष्ट होता है। यवान् भृष्टानुशीराणि समङ्गां काश्मरीफलम् । ( जो इत्यादि प्रत्येक वस्तु आधा तोला । निध्यादप्सु चालोडय निशा पर्युषितं ततः॥ क्षौद्रेण युक्तं पिबतो ज्वरः पैत्तः प्रशाम्यति ॥ पानी ४० तोले । शेष १० तोले ।) भुने हुवे जौ, खस, मजीठ और खम्भारीके (५७२४) यवादिक्वाथः (४) फल समान भाग ले कर सबको एकत्र कूट कर ( वृ. मा. । अम्लपित्त. ; यो र. ; ग. नि. ; रात्रिके समय मिट्टीके बरतन में स्वच्छ पानीसे भिगो वृ. नि. र.) दें। दूसरे दिन प्रातः काल औषधोंको मल कर यवकृष्णापटोलानां क्वार्थ क्षौद्रयुतं पिबेत् । छान लें। नाशयेदम्लपित्तं च अरुचिं च वर्मि तथा ॥ इसमें शहद मिला कर पीनेसे पित्त ज्वर जौ, पीपल और पटोल के काथ में शहद | शान्त होता है। डाल कर पीनेसे अम्लपित्त, अरुचि और वमन का | (जौ आदि प्रत्येक वस्तु आधा तोला, पानी नाश होता है। १२ तोले । शहद १॥ तोला ।) For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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