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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 1 २३६ पृथक् सात सात भावना देकर ४-४ रत्तीकी गोलियां बना लें भारत - भैषज्य रत्नाकरः इनमेंसे एक एक गोली पीपलके चूर्ण और शहद में मिला कर खाने तथा मुखमें रखने से भयंकर मुख पाक भी नष्ट हो जाता है । मुख पाक में महाराष्ट्र के कल्कसे घर्षण करना भी हितकारी है । (५६१२) मुखरोगारिरसः ( र. र. स. | अ. २४ ) तायातुत्थकुन टीराजावर्त शिलाजतु । गुग्गुलुहरवीर्यं च मुखरोगनिवर्हणम् ॥ 1 सोनामक्खी भस्म, अभ्रक भस्म, तुत्थ ( तूतिया ) भस्म, शुद्र मनसिल, राजावर्त भस्म, शिलाजीत, रस सिन्दूर और गूगल समान भाग ले कर सबको एकत्र घोट कर . ( १ -१ रत्तीकी ) गोलियां बना लें इनके सेवन से मुख रोग शान्त होते हैं । (५६१३) मुद्राघोटको रसः ( भै. र. र. रा. सु. । ज्वर. ) पारदो गन्धश्चैव त्रिक्षारं लवणत्रयम् । गुग्गुलुर्वत्सनाभश्च प्रत्येकन्तु द्विमाषकम् ॥ कृष्णोन्मत जटानी र्भावयेत्सप्तवासरम् । गोक्षुरेन्द्रकमारीषं करअ चित्रतेजिका ।। भूकुरवकलताभिश्च त्रिफला बृहतीरसैः । मर्दिता वटिका कार्या कृष्णलाफलसन्निभा ॥ aamhi aीं दत्त्वा यत्नैः पाटयादिभिर्वृतः । रसः सर्ववरं हन्ति क्षणमात्रान्न संशयः ॥ [दि जवाखार, शुद्ध पारद, शुद्ध गन्धक, सज्जीखार, सुहागा, सेवा नमक, काला नमक, विड नमक, शुद्ध गूगल और शुद्ध बछनाग (मीठा विष) समान भाग लेकर प्रथम पारे गन्धककी कज्जली बनावें और फिर उसमें अन्य औषधोंका चूर्ण मिला कर सबको काले धतूरेकी जड़के रसमें सात दिन घोटें और फिर उसे गोखरु, इन्द्रजौ, मरसा शाक, करञ्ज, चीतामूल; तेजिका ( माल कंगनी ), झिण्टी, मजीठ, त्रिफला और बड़ी कटेली ( बन भण्टे ) के रसमें १-१ दिन घोट कर १-१ रत्तीकी गोलियां बना लें। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इनमें से रोगीको १ गोली खिलाकर कम्बल इत्यादि गर्म कपड़ा उढ़ा देना चाहिये | इनके सेवन से ज्वर अत्यन्त शीघ्र नष्ट हो है 1 जाता (५६१४) मुशलीपाकः (१) ( नपु. मृता । त. ४ ) सुतालमूलीद्वयचूर्णमेव वस्त्रपूतं विनिगृह्य प्रस्थम् । गोदुग्धप्रस्थैर्वसुभिच पाच्यं यावद्घनं तत्प्रसमीक्ष्य सर्वम् ॥ पलाष्टकेनाथ घृतेन भृष्ट्वा लैकमानानि तथैौषधानि । संवक्ष्यमाणानि गुरुक्तयुक्तया खण्डं द्विमानं सकलौषधीभ्यः ॥ गोकण्टकं चेक्षुशतावरीभ्यां For Private And Personal Use Only शिवाकणावानरवीजपत्रैः । लङ्गखार्जूर सुजातपत्री मज्जात्रयैश्चन्दनगोस्तनीभ्याम् ॥
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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