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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नेत्ररोग] परिशिष्ट (चि. प.प्र.) ६६१ - - ९५४१ करभस्वेदः पलककी पिडिका ९५४५ कशेरुकादियोगः पित्तज तथा रक्तज ने त्राभिष्यन्द ९५५१ कारवेल्लीमूला. श्च्योतनम् काच नस्यम् (३०) पाण्डुकामलाधिकारः गुटिका-प्रकरणम् नस्य-प्रकरणम् ८८३७ अमृतवटकः कामला, पाण्ड.ज्वर.शोथ ८११५ अकालमूलाद कामला ९४५६ कर्कोटमूलादि अवलेह-प्रकरणम् नस्यम् ९५७६ खदिरादिलेहः पुराना पाण्डु, कामला, रस--प्रकरणम् हलीमक ८९७९ अमृतश्रवा रसः शुष्क पाण्डु ८९८६ अयश्चूर्णादियोगः पुराना पाण्डु धृत-प्रकरणम् ९४९२ कामलाप्रणुद रसः कामला ८८४८ अमृतलतादि घृ० हलीमक ९४९७ कामेश्वरी व० सशोथ कफज पाण्डु करणम् (३१) प्रमेहाधिकारः कषाय-प्रकरणम् | ९१४८ एलादि चूर्णम् प्रमेह ८७७८ अग्निमन्थक० वसामेह (सरल योग)। ९१४९ ,, प्रमेह, मूत्रदाह, हिका ८७९७ अश्वत्थादि क्वा० नील, हारिद्र, शुक्र, क्षार, माञ्जिष्ठ और रक्त गुटिका-प्रकरणम् मेहके लिये पृथक् पृथक् | ९३०१ कस्तूरी मोदक: समस्त मेह, सोमरोग, सरल योग ___ मूत्रातिसार, मूत्रकृच्छु ९१८६ कटङ्कटेर्यादि क्वा० प्रमेह ९२२० कुटजादिक्वा० समस्त प्रमेह अवलेह-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम् | ९३१३ कामसुन्दरपाकः प्रमेह, ज्वर नाशक, ८८२६ अश्वत्थबीजादि रसायन योगः समस्तमेह (सरल योग) । For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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