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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [ककारादि - - - (९२३५) कटुकायोगः पीनसे स्वरभेदे च तमके सहलीमके । (ग. नि. । चरा.) सन्निपातेऽनिळकफे कासे श्वासे च शस्यते ।। सशर्कराक्षमात्रां कटुकामुष्णवारिणा । कायफल, सोंठ, पीपल, कालीमिर्च, कचूर, पीत्वा ज्वरं जयेज्जन्तुः कफपित्तसमुद्भवम् ॥ | पोखरमूल, भरंगी, मूर्वा, त्रिफला ( हर्र, बहेडा, कुटकी का चूर्ण और खांड समान भाग लेकर आमला ), हर, काला नमक ( सं वल ) और एकत्र मिलावें। काकडसिंगी समान भाग लेकर चूर्ण बनावें और इसे उष्णा जलके साथ पीनेसे कफपित्तज ज्वर उसे गोमूत्रकी भावना देकर सुखा लें या इन द्रव्योंको नष्ट होता है। गोमूत्रमें पकाकर क्याथ बनावें। मात्रा-११ तोला। यह चूर्ण या क्वाथ पीनस, स्वरभेद, तमक (९२३६) कटुत्रिकादिचूर्णम् श्वास, हलीमक तथा सन्निपातज और वातकफज (व. से. | नासा.) कास श्वास में उपयोगी है। कटुत्रिकं चित्रकतित्तिडीकं ( चूर्णकी मात्रा-३ माशे।) तालीशपत्रं चविकाम्लसञम् । (९२३८) कणादिचूर्णम् विचूर्णितं जीरकचूर्णयुक्तमेलात्वचा तत्सुरभीकृतं च ॥ ( वै. म. र. । पट. ३ ) मिश्रं पुराणेन गुडेन दद्या कणोषणनिशापथ्यागुडगोस्तनिकारजः । तत्पीनसानां परिपाचनार्थम् ॥ लीढं तैलेन कासानां श्वासानां च निवृत्तये ॥ सोंठ, मिर्च, पीपल, चीतामूल, तिन्तडीक, | पीपल, काली मिर्च, हल्दी, हरं, गुड़ और तालीसपत्र, चव्य, अम्लवेत, जीरा, इलायची और / मुनक्का समान भाग लेकर चूर्ण बनावें । दालचीनी समान भाग लेकर चूर्ण बनावें । ( मुनक्काको पृथक् पत्थर पर पोस कर (मात्रा-२-३ माशे ) मिलाना चाहिये ।) इसे समान भाग गुड़में मिलाकर सेवन करनेसे इसे तेलमें मिलाकर चाटनेसे कास श्वास नष्ट पीनस पक जाती है। | होता है । (यह वातज कास स्वास में उपयोगी है।) ___(९२३७) कट्फलादिचूर्णम् । ( मात्रा-६ माशे ।) (यो. त. । त. ७२ ; वृ. यो. त. । त. १३० ) कट्फलं शृङ्गावरं च पिप्पली मरिचानि च । (९२३९) कमलकेशरादियोगः शटी पुष्करमूलं च भाजी मधुरसा वरा ॥ । (व. से. । बालरोगा.) अभयाकृष्णलवणं शृङ्गी कर्करकस्य च। श्वेतकमळकिअल्कं सम्पिष्टं तण्डुलाम्बुना। एतच्चूर्णवरं प्रोक्तं क्याथो वा मूत्रमूर्छितः ।। । मत्स्यण्डिमधुसंयुक्तं सिमं हन्ति प्रवाहिकाम् ।। For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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