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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रसप्रकरणम् ] परिशिष्ट ४५६ और दन्तीमूल, ६-६ भाग एवं सुहागेको खील, । अनुपान-अपामार्ग (चिरचिटे ) के बीज, जवाखार और सेंधानमक ५-५ भाग; गोमूत्र चीतामूल, सोंठ, हर्र, नागरमोथा और चिरायता ४ सेर, और सेहुंड (थूहर-स्नुही )का दूध ४ सेर समान भाग लेकर चूर्ण बनावें और उसे सबके लेकर प्रथम पारे गंधककी कजली बनावें और फिर | बराबर गुड़में मिला लें। उपरोक्त रस खानेके समस्त चीज़ोंके चूर्ण में गोमूत्र और स्नुहीका दूध | पश्चात् इसमें से १श तोला ( व्यहा. मात्रा ३-४ मिलाकर मन्दाग्नि पर पकावें । जब गाढ़ा हो जाय | माशे) औषध खानी चाहिये। तो उसे अग्निसे नीचे उतारकर २-२ माशेकी पथ्य-पुराने चावलोंका भात । गोलियां बनावें । (८९९०) अलर्कविषहरगुटिका इनके सेवनसे अर्शके मस्से समूल नष्ट हो । ( र. सं. क. । उ. ५) जाते हैं। कट्फलाम्बुगिलं कृष्णां हिङ्गुलं बोलटङ्कणम् । (८९८९) अशोहररसः गुडेन गुटिका शाणमिता सा नवमेऽहनि ।। उष्णोदकेन दातव्या सद्योऽलर्कविषापहा । (र. र. ; अन्य. । अर्शो.) गरभृङ्गोषणं चूणे साज्यं वा तद्विषापहम् ॥ रसवैक्रान्तशुद्धाभ्रकान्तभस्म सगन्धकम् । ___ कायफल, सुगन्धबाला, बिजौरे नीबूकी जड़की तुल्यांशं मर्दयेच्चादाडिमोत्यै रसैस्ततः ।। छाल, पीपल, शुद्ध हिगुल, बोल और सुहागा १-१ भक्षयेन्माषमेकन्तु अर्शसां नाशनो रसः। भाग तथा गुड़ सबके बराबर लेकर सबके चूर्णको अपामार्गस्य बीजानि वहि शुण्ठी हरीसकी। गुड़में मिलाकर ४-४ माशेकी गोलियां बना लें । मुस्ताभूनिम्बतुल्यांशं सर्वतुल्यं गुडं भवेत । पागल कुत्ते के काटनेके नवें दिनसे ये गोकषकं भक्षयेचानु जीर्णान्नं भक्तभोजनम् ॥ | लियां उष्ण जलसे देनेसे विष नष्ट हो जाता है। शुद्ध पारद, वैत्रात भस्म, अभ्रक भस्म, शुद्ध बछनाग, भंगरा और काली मिर्च समान कान्त लोह भस्म, और शुद्ध गंधक समान भाग भाग लेकर चूर्ण बनावें । इसे घीके साथ सेवन लेकर प्रथम पारे गंधककी कजली बनावें और फिर करनेसे भी पागल कुत्तका विष नष्ट हो जाता है । उसमें अन्य चीजें मिलाकर सबको अद्रक और (८९९१) अश्वगन्धापाकः (१) अनारके रसमें खरल करके १-१ माशेकी गोलियां ( वृ. यो. त. । त. १४७) बनावें । सञ्चूर्ण तुरगीविदारिमुसलीगोक्षुरकं तत्पृथग्( व्यवहारिक मात्रा-१ रत्ती। ) द्वयाम्रांशं मृदु पाचितं च इसके सेवनसे अर्शका नाश होता है। महिषीदुग्धाढके गोघृतम् । For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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